Saturday, July 27, 2024
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शिंदे की बगावत के वक़्त ठाकरे ने ऑफर किया था मुझे मुख्यमंत्री पद- बोले फडणवीस, तो राउत ने दिया जवाब

महाराष्ट्र की सियासत में बीते साल हुए सत्ता परिवर्तन के बाद से लगातार तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रमों के साथ ही तीखी बयानबाजी का दौर अपने चरम पर है. हालिया घटनाक्रम के अनुसार सूबे के पूर्व सीएम और वर्तमान उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बड़ा दावा किया है कि उद्धव ठाकरे ने खुद उन्हें मुख्यमंत्री पद की पेशकश की थी. वहीं दूसरी तरफ देवेंद्र फडणवीस के बयान पर कद्दावर नेता और शिवसेना से राज्यसभा सांसद संजय राउत ने पलटवार करते हुए कहा कि देवेंद्र फडणवीस लोगों के बीच सनसनी और भ्रम फ़ैलाने की कोशिश कर रहे हैं.

एक इंटरव्यू में देवेंद्र फडणवीस से जब पूछा गया कि क्या उद्धव ठाकरे ने उनसे संपर्क किया था? देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “हां, मुझसे संपर्क किया गया था, लेकिन मैंने जवाब दिया कि हम आगे बढ़ गए हैं. मुझसे कहा गया था कि जो हो गया सो हो गया, अब आप मुख्यमंत्री बनिए. मैंने स्पष्ट कर दिया कि वह क्षण बीत चुका है, मैं विश्वासघात करने वालों में से नहीं हूं. अब ये लोग हमारे साथ आए हैं और हम उन्हें धोखा नहीं दे सकते. जब उन्होंने बगावत की है और हमसे हाथ मिलाया है तो हम उनके साथ विश्वासघात नहीं कर सकते, यह हमारी राजनीति का हिस्सा नहीं हो सकता, इसलिए मैंने मना कर दिया.’

वहीं देवेंद्र फडणवीस के इस बड़े खुलासे पर जब दिग्गज नेता और शिवसेना से राज्यसभा सांसद संजय राउत ने साफ इंकार करते हुए कहा कि, ‘फडणवीस सनसनी पैदा करने और लोगों में भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. राजनीति में लोग अपने-अपने स्टैंड पर चर्चा करते हैं, जब दो नेता संवाद करते हैं और कुछ मुद्दों पर चर्चा करते हैं, तो चर्चा को सनसनीखेज बनाने का क्या मतलब है?# हालांकि संजय राउत ने इस बात से इनकार नहीं किया कि देवेंद्र फडणवीस के साथ संचार हुआ था, उन्होंने कहा, “उद्धव ठाकरे तब मुख्यमंत्री थे और देवेंद्र फडणवीस विपक्ष के नेता थे, जब दो नेता संवाद करते हैं तो क्या गलत है? उन्होंने फडणवीस से बात की होगी.”

इस सियासी बयानबाजी के बीच एनसीपी नेता अजीत पवार ने शुक्रवार शाम पिंपरी-चिंचवाड़ में कहा कि एनसीपी-कांग्रेस ने कभी भी शिवसेना (UBT) को गिराने की कोई कोशिश नहीं की, जैसा कि भाजपा करती रही है. पवार ने कहा, “हर कोई जानता है कि सूरत और गुवाहाटी में विधायकों को कौन ले गया, हर कोई जानता है कि शिवसेना को किसने तोड़ा. वास्तव में उद्धव ठाकरे ने खुद कहा है कि कांग्रेस-एनसीपी ने मुश्किल समय में शिवसेना की मदद की, जबकि 25 साल के अपने साथी (बीजेपी) ने शिवसेना की पीठ में छुरा घोंपा है.”

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