नेट प्रोवाइड करने वाली मुख्य कंपनियां रिलायंस जियो, एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया हैं। जियो की भागीदारी 25 प्रतिशत और एयरटेल की 20 प्रतिशत है। तीसरे स्थान पर वीआई है। ट्राई की मेहरबानी से जियो ने 25 प्रतिशत और एयरटेल ने 20 प्रतिशत नेट की कीमतें बढ़ा दी हैं। एयरटेल के हजारों करोड़ दंड माफ किए गए हैं। जियो को शुरू करने के लिए पीएम मोदी द्वारा बीएसएनएल के 80 हजार टावर मुफ्त में दिए गए थे। पहले जियो ने मुफ्त नेट की आदत डाली और उसके बाद जेब काटने शुरू कर दिए। 25 प्रतिशत मूल्य एकाएक बढ़ा देने पर जनता खुद को ठगा हुआ समझने लगी है। सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट में कहा जा रहा है कि मुकेश अंबानी ने अपने बेटे की शादी का खर्च उपभोक्ताओं पर डालने के लिए मूल्य में 25प्रतिशत बढ़ोत्तरी की है। लोग सोशल मीडिया पर पूछ रहे हैं कि बीएसएनएल के नेट से देश का इसरो धरती पर बैठे-बैठे चंद्र और मंगल यान ही नहीं, सूर्य यान को कंट्रोल कर रहा है। फिर धरती के लोगों के मोबाइल में नेट स्पीड क्यों नहीं है? यह सही है कि जिस तरह पूंजीपति अपना फायदा देखते हैं वैसे ही उपभोक्ता भी। इसमें कोई बुराई नहीं है। जियो का मुफ्त नेट था तो लोग जुड़े। बीएसएनएल के ग्राहक नेट स्पीड और सिग्नल कम आने से जियो की तरफ मुड़े। ऐसा नहीं है कि जियो का नेट बड़ा तेज चलता हो। 5जी का रिचार्ज रहने के बावजूद ऊपर कभी-कभी 4जी का सिग्नल दिखाई देता है। मुंबई जैसे व्यस्त महानगर में भी कई स्थानों पर जियो का नेट चलता ही नहीं। दूसरी समस्या है कि कुछ ही देर में सूचना आती है कि फास्ट स्पीड का 50 प्रतिशत खत्म हो गया है। यदि किसी दिन कम नेट चलाएं तो जियो उस दिन का बैलेंस नहीं रखता और लेप्स कर देता है, जबकि वीआई सप्ताह के अंत में बचे नेट की सुविधा देता है। आप कहीं यात्रा पर हों तो जियो काम ही बंद कर देता है, फिर भी सस्ता होने से लोग सह लेते हैं।तीनों नेट प्रोवाइडर कंपनियों ने 30 दिन के महीने को 28 दिन कर साल में 13 महीने करके लूट मचा रखी है। ट्राई चुप क्यों है? क्या उसे चुप रहने का घूस मिला है? बीएसएनएल को एमटीएनएल की तरह बीजेपी ने डुबोने का काम किया है। बीएसएनएल में समस्याएं पैदा की गईं और वर्करों को पेमेंट नहीं दिया गया। अब जब जियो, एयरटेल और वीआई ने मूल्य बढ़ा दिए तो लोग बीएसएनएल की ओर मुड़े। भले ही नेट स्लो है फिर भी सरकारी होने के कारण। देखते ही देखते लगभग 50 लाख उपभोक्ताओं ने तीनों कंपनियों को अलविदा कहने का अभियान शुरू कर दिया है। इस महीने के अंत तक एक करोड़ उपभोक्ता बीएसएनएल में पोर्ट कर जुड़ जाएंगे। जनता जब अपने पर आ जाती है तो पहाड़ का राई बना देती है। जनता का सबसे अधिक क्रोध जियो पर फूटा है क्योंकि बीएसएनएल डुबोने के लिए जियो ने अधिक सहयोग किया है। उसके 80 हजार टावरों का उपभोग करके। एयरटेल और वोडाफोन पर भी कहर टूटा है। केवल राजस्थान में ही एयरटेल के 68,412, वोडाफोन-आइडिया के 49,429 और जियो के सबसे अधिक 6,01,508 कस्टमर घटे, जबकि बीएसएनएल में 1,61,083 लोग जुड़े हैं। पूरे देश में बीएसएनएल से जुड़ने वालों की संख्या दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है। देशप्रेम इसके लिए उत्तरदायी है। सुखद समाचार यह है कि टाटा कंसल्टेंसी ने बीएसएनएल का दामन पकड़ लिया है। उसके उद्धार की भावना से। इस वर्ष में 15,000 टावर लगाने की योजना है। 4जी से शुरू कर 5जी करने की योजना है। इसके लिए जनता ही साधुवाद की पात्र है जिसने बीएसएनएल अपनाकर सरकार को भी अपने पैर पीछे खींचने को मजबूर कर दिया है। जनता को एक साल तक प्रतीक्षा करनी है बस। फिर तो 5जी की सेवा के साथ ही 6जी, 7जी की उम्मीद भी जाग जाएगी। आज नहीं तो कल प्राइवेट जियो, एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया को जनता के सामने झुकना ही पड़ेगा।