Saturday, May 11, 2024
Google search engine
HomeGadgetsसंपादकीय:- जनता के मन की बात!

संपादकीय:- जनता के मन की बात!

लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए किसी दल के पास हजारों करोड़ रूपये खाते में हैं तो किसी की झोली ही खाली है। ऐसा भी दल है जिस पर इनकमटैक्स विभाग कुंडली मारकर बैठ गया है। कांग्रेस के सभी बैंक खाते आईटी विभाग ने फ्रीज कर दिए हैं। प्रचार के लिए पैसे ही नहीं हैं। कुछ क्षेत्रीय दलों की झोली भी। भरी हुई है। स्मरण आ रहा है राम और रावण के युद्ध का दृश्य। जिसमें रावण रथ पर सवार है। शक्तिशाली है। धनवान है। उसके अपने ढेर सारे लोग हैं तो दूसरी तरफ राम पैदल हैं। पैरों में पादुका भी नहीं है। उसे तो भाई भरत ने मांग लिया था। राजसिंहासन पर रखने के लिए। विभीषण का दुखी होना स्वाभाविक है जिसे शब्द देते हुए गोस्वामी तुलसीदास लिखते हैं,
रावण रथी विरथ रघुवीरा।आज भी लोकसभा चुनावी समर में सत्ता शीश आकशमार्ग से उड़ते हुए सड़क पर चलते हैं और कथित रूप से स्वागत में दोनों तरफ लोगों की भीड़ है। भले ही रैलियों में खाली कुर्सियों की संख्या बैठे लोगों की कई गुना अधिक है। दरअसल लोग कांग्रेस की निंदा सुनते थक गए हैं और नहीं सत्ता द्वारा की गई थोथी घोषणा और झूठे वादे ही सुनना नहीं चाहते इसलिए राजा की रैली में भीड़ नहीं होती। अब तो लोग भोजन के पैकेट और दो से रूपए लेकर भी रैली में जाने के लिए नहीं मिल रहे। देश के हर कोने में सत्तादल के सांसदों को घूमने पर भी ऐतराज कर रहे पार्टी के कार्यकर्ता क्योंकि जनता को झूठा दिलासा कब तक दिलाएं? एक क्या कई गांव ऐसे हैं जिसमें बोर्ड लगाकर बीजेपी के लिए वोट मांगने के लिए आने की मनाही की गई है। एक तरफ राजा अपनी हर रैली में डंके की चोट पर अब की बार चार सौ पार का गजब उत्साह के साथ नारा लगा रहे हैं तो दूसरी तरफ जनता यह समझ रही है कि पेट्रोल और सरसो का तेल 400 पार जाने वाला है। आईटी, सीबीआई और ईडी द्वारा छापे मारकर इलेक्ट्रोरल बॉन्ड के द्वारा हजारों करोड़ वसूली गई राशि को सुप्रीमकोर्ट असंवैधानिक बता चुका है। यह बात जनता यूं जानती है कि सरकार ने कोई न कोई गलत काम किया है। दवा के मूल्य लगभग दस दिनों में दोगुने हो गए हैं। पूंजीपतियों के कारखानों कंपनियों से निकले हर प्रोडक्ट महंगे हो गए हैं। लोग मरे या जिएं सरकार को तो दौलत बटोरने से मतलब है। किसान, मजदूर परेशान हैं। बड़ी बड़ी डिग्रियां लिए करोड़ों युवा घूम रहे हैं रोजगार ढूंढने के लिए। शादी की ही नहीं नौकरी की भी उम्र निकली जा रही है। न कोई अपनी कन्या देना चाहता है न कोई नौकरी बॉम्बे आईआईटी पास 36 प्रतिशत, को जब नौकरी नहीं मिल रही है तो एमए पीएचडी करने वालों की क्या औकात? नागपुर में बेरोजगार दूल्हे घोड़ों पर सवार होकर बारात निकाल रहे। रेलवे में 2019 से एक भी भर्ती नहीं हुई। अन्य विभागों में भी रेलवे की तरह लाखों पोस्ट खाली हैं फिर भी नौकरी नहीं दी जा रही। कर्ज में डूबा किसान, बिक्री नहीं होने से परेशान छोटे व्यापारी, बेरोजगार शिक्षित युवा, असुरक्षित महिलाएं क्या करें सिवाय सत्ता विरोध में वोट देने के। संभव है चुनाव आयोग ने सत्ता को आश्वस्त किया हो कि कुछ भी हो जाए इस बार ईवीएम से वह चार सो सीटे जरूर दिलाएगा। भले ही बुद्धिजीवी चुनाव आयोग को कोसे उसे कोई फर्क नहीं पड़ता। छः साल तक कुर्सी पक्की जो हो गई है। फिर गोदी मीडिया तो है ही जिताने के लिए। उसका बश चले तो 4000 सीटें भी दिला दे लेकिन मजबूर है लोकसभा में कुल 543 सीटें ही हैं। जबकि सच तो यह है कि खुद सत्तापक्ष और आरएसएस ने सर्वे कराए हैं। उनके सर्वे के अनुसार सत्तापक्ष 200 सीटों तक सिमट कर रह जाएगी। हालात यहां तक हो गए हैं कि गुजरात से शुरू कर ठाकुर बिरादरी ने बीजेपी को वोट देने से मना कर दिया है। गुजरात राजस्थान हरियाणा होते हुए विरोध की आग पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक पहुंच गई है। योगी आदित्यनाथ को निपटाने के फेर में मोदी खुद निपटने लगे हैं। वरुण गांधी का टिकट काटकर योगी सरकार के सबसे भ्रष्ट मंत्री जतिन प्रसाद को पीलीभीत से टिकट दिया गया है। वहां की हर गली,हर कूंचे में जतिन प्रसाद के भ्रष्टाचार के चर्चे हैं। जाट इसलिए नाराज हैं कि किसानों को दिल्ली जाने नहीं दिया गया तो हम बीजेपी वालों को अपने गांव में घुसने नहीं देंगे। चौधरी चरण सिंह को पुरस्कार देकर उनके पोते को भाजपा में शामिल करने का खेल भाजपा पर उलटा पद रहा है। जाट किसानों ने अपना नया नेता चुन लिया है। किसान, मजदूर, छात्र, बेरोजगार शिक्षित युवा बीजेपी से नाराज हैं तो फिर वोट कौन देगा?

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments