
राम किसी के लिए भगवान हो सकते हैं। विष्णु के अवतार हो सकते हैं तो कुछ लोगों के लिए मर्यादा पुरुषोत्तम तो कुछ के लिए राम काल्पनिक पात्र भी हो सकते हैं। अर्थात राम के संदर्भ में अपनी सोच और अपने विचार के आधार पर अर्थ तलाशे जा सकते हैं। तो कुछ लोगों को केवल सत्ता प्राप्ति के साधन मात्र हैं। अब यह हमारे दृष्टिकोण का अंतर हो सकता है परंतु इसका मतलब यह तो नहीं कि राम को भगवान नहीं मानने वालों पर कानूनी कार्रवाई होनी ही चाहिए। उसे अपशब्द कहे ही जाने चाहिए।वास्तव में राम को धार्मिक बनाकर राजनीति करने का श्रेय लालकृष्ण आडवाणी को जाता है जिन्होंने राममंदिर के लिए राजनीतिक रूप से रथयात्रा निकाली थी। हां तात्कालिक फायदा जरूर मिला। दो से दो सौ तक सांसद चुने गए। उसे देखकर ही राममंदिर निर्माण की राजनीति पुनः शुरू की गई। धर्म और राजनीति का मिश्रण अनेक समस्याएं उत्पन्न करने लगा है। राम के धार्मिक उपयोग को हथियार बनाकर फिर सत्ता के लिए उपयोग किया जाने लगा है। राममंदिर निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट को श्रेय दिया जाना चाहिए जिसने रामजभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद को सुलझाया। उसके फैसले से ही राममंदिर निर्माण संभव हो रहा है। इसमें भाजपा का कोई रोल नहीं है इसलिए भी भाजपा को खुद श्रेय लेकर राममंदिर के नाम पर राजनीति करने से बचा जाना ही देशहित में है। सुप्रीमकोर्ट के फैसले को लेकर उसके पूर्व तक उन्माद फैलाने वाले मुसलमानों ने कोई अलग प्रतिक्रिया नहीं देकर फैसला स्वीकार कर सदस्यता का ही परिचय नहीं दिया बल्कि देश में अमन चैन बनाए रखा। थोड़ा पीछे जाएं तो हिंदू मुस्लिम सभी हिल मिल कर रहते थे।हिंदू उनकी ईद की सेवइयां खाते रहे और मुस्लिम हिंदुओं को दीपावली दशहरा की शुभकामनाएं देते रहे। यहां एक बात ज़रूरी है कहना कि रामलीला मंचन के लिए ड्रेस तैयार करना मुस्लिम अपना कर्तव्य समझते थे। दीपावली और होली के लिए पटाखे बनाते रहे। हिंदू उनकी दूकानों से खरीदते रहे। सुप्रीमकोर्ट में जस्टिस जोसेफ और जस्टिस बी बी नाग रत्ना की अदालत में हेट स्पीच और कोर्ट की अवमानना का मामला पहुंचा था।सुप्रीमकोर्ट ने नफरती भाषण मामले में कहा कि रोज गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली बातें कही जाती हैं।कैसी कैसी बातें होती हैं।कोई कहता है पाकिस्तान चले जाओ।ये वे लोग हैं जिन्होंने इस देश को चुना है।शायद सुप्रीमकोर्ट कहना चाहता था कि जब मोहम्मद अली जिन्ना और मुस्लिम लीग ने मुस्लिम आबादी के अनुसार पाकिस्तान का बंटवारा करा लिया तो भारत में पुरखों के समय से रहते आए तमाम मुस्लिमों ने पाकिस्तान जाना मुनासिब नहीं समझा और यहां ही रहना पसंद किया।
जस्टिस जोसेफ ने कहा, वे भी आपके भाई बहन हैं। जस्टिस ने आगे कहा कि हम सिर्फ यह कहने का प्रयास कर रहे हैं कि इस स्तर तक मत जाओ।जस्टिस बी वी नागरत्ना ने कहा, जवाहरलाल नेहरू और अटल बिहारी बाजपेई के अच्छे वक्ता होने का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्हें सुनने के लिए लोग दूर दूर से आते थे और आज अतिवादी तत्व इस तरह से बयान दे रहे हैं और हमसे इन लोगों के विरुद्ध अवमानना कार्रवाई करने को कहा जा रहा। हम कितन्रस्मल में कार्रवाई करेंगे। इस तरह की हेट स्पीच रोकने के लिए तंत्र विकसित होने चाहिए।सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि तंत्र हैं। पुलिस है। थाने हैं। कोर्ट का पूनावाले मामले में दिशानिर्देश है। उनकी बातें सुनकर जस्टिस जोसेफ ने कहा, वह उसी वक्त बंद हो जाना चाहिए था। आगे कहा, यह हेट स्पीच उसी समय बंद हो जाएगा जब राजनीति और धर्म अलग हो जाएंगे। धर्म का राजनीति में इस्तेमाल करना बंद करना होगा।हेट स्पीच अपने आप बंद हो जाएगी। सच तो यह है कि सत्ताप्राप्ति के लिए भाजपा चाहती थी हिंदुओं का ध्रुवीकरण हो। ऐसा सिर्फ तभी संभव है जब एक मजहब के खिलाफ जहर उगला जाए।वास्तव में महाराष्ट्र में हिंदू संगठनने रैली निकालकर कई बार मुस्लिमों के विरुद्ध स्लोगन बोलते रहे थे सच तो यह है कि दोनो तरफ से ही धार्मिक उन्माद दिखाने की कुत्सित परंपरा विकसित की गई है। पाकिस्तान के साथ इंडिया का क्रिकेट मैच होने पर मुस्लिमों द्वारा पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाना और किसी रैली में पाकिस्तानी झंडा लहराना और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाना आम बात हो गई है तो दूसरी तरफ वन्देमातरम नहीं कहने पर पाकिस्तान परस्त के आरोप लगाए जाने लगे हैं।उनसे देशभक्ति का प्रमाण मांगे जाते हैं। लोग यह भूल जाते हैं कि अंग्रेजों के विरुद्ध हिंदू-मुसलमानों ने क्रांति में बराबर का हिस्सा लिया था। शहादतें दी थीं। अब्दुल शाह जफर जब जेल में बंद थे तब उनके बेटों के सिर काटकर उनके सामने पेश किए गए थे फिर भी मादरे वतन की खाक उन्हें पसंद थी। ताली बजाने के लिए दोनो हाथों की जरूरत होती है। एक हाथ से ताली बजाई नहीं जा सकती। कोई भी चुनाव हो क्षेत्र में मुस्लिम आबादी अधिक होने पर मुसलमान को टिकट देना कत्तई उचित नहीं है। अन्य जातियों की बहुलता वाले क्षेत्र में उसी जाति का प्रत्याशी बनाना गलत परम्परा है। वैसे ही मुस्लिम माफियाओं के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने और विशेष जाति के माफियाओं की ओर उंगली भी नहीं उठाना क्या सही और न्यायपूर्ण शासन वी व्यवस्था है। तमाम बातें दोनो कौमों के बीच चौड़ी दरार फैलाती हैं। इधर कुछ वर्षों से मॉब लाइचिंग के मामले बढ़े हैं। कहीं हिंदुओं के घर खाली कराए जाते हैं तो कहीं मुस्लिमों के बहिष्कार की बात की जाती है। हिंदू मुस्लिम में संघर्ष और अविश्वास का जहर राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा है लेकिन सत्ता लोभ में अंधे होने वालों को कौन समझाए? जहां तक पुलिस द्वारा हेट स्पीच के खिलाफ मामला दर्ज करने की बात है तो पुलिस का दुरुपयोग शासन द्वारा बंद करना होगा अन्यथा पुलिस वर्ग विशेष और मुस्लिमों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करती रहेगी।