
देहरादून: (Dehradun) पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत चर्चाओं में रहने का कोई अवसर नहीं छोड़ते हैं। अब उन्होंने गोट, खत्ते, पड़ाव आदि को मुद्दा बनाकर गांधी पार्क में एक दिन का सांकेतिक उपवास किया।
बुधवार को आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि सरकारी भूमि, जिसमें सिंचाई विभाग, वन विभाग और राजस्व विभाग सम्मिलित हैं, इनमें कई स्थानों पर वर्षों से बसे लोग खेती कर रहे हैं और उन्हें वहां शासन ने बिजली, पानी, स्कूल, अस्पताल आदि की नागरिक सुविधाएं भी प्रदान की हैं। कुछ ऐसे भी लोग हैं जो परंपरागत रूप से वनों में ही गोट, खत्ते बनाकर रहते हैं और उन्हें वन विभाग वनाश्रित मान कर जंगलों में लॉपिंग, चुगान आदि की अनुमति देता है।
ये लोग घुमंतू रूप से अपने मवेशियों को लेकर भाबर, तराई और पहाड़ों में भी पशु चुगान के लिए पहुंचते है। इन लोगों का इतिहास 100 वर्ष से भी ज्यादा पुराना है। अब शासन के इन्हें गांव में बसाने की योजना पर काम किया जा रहा है, जिसमें इनका सहयोग शासन को मिलता रहा है।
भाबर और तराई के क्षेत्र में खाम भूमि, सिंचाई विभाग की भूमि जो विशेष तौर पर डैम क्षेत्रों के चारों तरफ है। राज्य निर्माण से भी काफी पहले समय से बसे हुए हैं। खत्ते, गोटों और पड़ाव में भी वर्षों से पर्वतीय क्षेत्रों के लोग आते रहे हैं और जंगलों पर आधारित कार्य से अपनी आजीविका चलाते रहे हैं। ये ऐसे क्षेत्रों में बसे हुए हैं जिन्हें वन भूमि तो कहा गया है, मगर वन (वृक्ष) नाममात्र के भी नहीं हैं, ऐसे बसने वाले लोगों में पर्वतीय क्षेत्रों के परंपरागत पशुपालक, भूमिहीन शिल्पकार, भूतपूर्व सैनिक आदि सम्मिलित हैं। इसी प्रकार नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चमोली, टिहरी आदि के कई क्षेत्रों में गांधी ग्राम, हरी ग्राम, इंद्रा ग्राम बसाए गए हैं, ये भी बेनाप भूमि व वन भूमि में काबिज़ हैं।
उन्होंने कहा कि शासन का अतिक्रमण हटाने के नाम पर इन सभी लोगों को नोटिसेज जारी किए गए हैं या किए जाने की चर्चाएं हैं। कुछ स्थानों पर अतिक्रमण हटाए भी जा रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से आग्रह करते हुए कहा कि उपरोक्त प्रकार से वर्गीकृत बसावतों के विषय में उदार व्यवहार अपनाते हुए इन बसावतों को नियमित करने, राजस्व ग्राम का दर्जा देने और घुमंतू लोगों को भूमि आवंटन कर बसाने के विषय में नीतिगत निर्णय लिया जाए और इनकी आजीविका व आवासों को संरक्षण दिया जाए। रामनगर सिंचाई विभाग को आदेश दिए जाएं कि वो तत्काल ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को रोकें। इस बारे में मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी भेजा गया है।
इस अवसर पर गणेश गोदियाल, जसविंदर सिंह गोगी, आशा मनोरमा डोबरियाल शर्मा, शीशपाल सिंह बिष्ट, गरिमा दसौनी, मनीष नागपाल, नजमा खान, महेंद्र सिंह नेगी गुरुजी, आशा टम्टा, नीनू सहगल, श्याम सिंह चौहान, राजेश परमार समेत कई लोग उपस्थित थे।