Saturday, July 27, 2024
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शरद पवार ने चुनाव आयोग के फैसले को दी चुनौती, अब सुप्रीम कोर्ट में होगी असली एनसीपी की लड़ाई!

मुंबई। एनसीपी बनाम एनसीपी: शरद पवार गुट ने चुनाव आयोग के उस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जिसमें अजीत पवार समूह को आधिकारिक तौर पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के रूप में मान्यता दी गई थी। हाल ही में चुनाव आयोग ने शरद पवार नीत गुट को नए नाम की मंजूरी दी। जिससे शरद पवार गुट का नाम एनसीपी शरदचंद्र पवार हो गया। इससे पहले ६ फरवरी को चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री अजित पवार के गुट को असली एनसीपी का दर्जा दिया था। और एनसीपी का घड़ी निशान भी सौंपा। इससे एनसीपी संस्थापक शरद पवार को बहुत बड़ा झटका लगा। चुनाव निकाय ने अपने आदेश में कहा कि महाराष्ट्र राज्य विधानसभा में एनसीपी विधायकों की कुल संख्या ८१ है। इसमें से अजित पवार ने अपने समर्थन में ५७ विधायकों के हलफनामे सौंपे, जबकि शरद पवार के पास केवल २८ हलफनामे थे। इसे देखते हुए आयोग ने निष्कर्ष निकाला कि अजित पवार के नेतृत्व वाले ग्रुप को विधायकों का बहुमत समर्थन प्राप्त है और वह असली एनसीपी होने का दावा कर सकता है। हालांकि चुनाव आयोग ने पार्टी की संगठनात्मक विंग में बहुमत परीक्षण के आवेदन को खारिज कर दिया। इसके पीछे आयोग ने वजह बताई कि एनसीपी पार्टी की संगठनात्मक ढांचा, उसके सदस्यों और उनके चुनावों का विवरण बिना किसी मूलभूत आधार के है। गौरतलब है कि अजित पवार पक्ष ने पिछले हफ्ते ही शीर्ष कोर्ट में एक कैविएट दायर कर कहा कि मामले में कोई भी आदेश पारित करने से पहले उनका पक्ष सुना जाना चाहिए। मालूम हो कि कि वरिष्ठ नेता शरद पवार ने १९९९ में एनसीपी पार्टी बनायीं और तब से २०१४ तक एनसीपी महाराष्ट्र की सत्ता में थी। फिर पांच साल के बाद २०१९ में महाविकास आघाडी (एमवीए) के जरिये एनसीपी राज्य सरकार का हिस्सा बनी। लेकिन उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार जून २०२२ में गिर गयी। क्योंकि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना में बगावत हुई और पार्टी दो धड़ों में बंट गयी। इसके बाद शिंदे बीजेपी के समर्थन से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। इस सियासी उथलपुथल के एक साल बाद जुलाई २०२३ में एनसीपी भी विभाजित हो गई, जब पार्टी के दिग्गज नेता अजित पवार ने बगावत का बिगुल फूंका। तब जूनियर पवार पार्टी के आठ विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए थे। अजित दादा तब से अपने विद्रोह को लगातार यह कहते हुए सही ठहराते रहे है कि वरिष्ठों को अगली पीढ़ी को आगे बढ़ाना चाहिए। जो कि वरिष्ठ पवार ने नहीं किया। अजित पवार अभी शिंदे सरकार में डिप्टी सीएम है और उनके खेमे में एनसीपी के अधिकांश विधायक है।

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