नई दिल्ली। इस साल कंपनियों की IPO से कमाई (IPO earnings) हुई आधी, अगले साल भी आ सकती है गिरावट इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) के जरिए साल 2022 में महज 57,000 करोड़ रुपये ही जुटाए जा सके हैं.
सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर मूल्य में गिरावट आने और भू-राजनीतिक तनाव की वजह से आई अस्थिरता से शेयर बाजार में धारणाएं प्रभावित हुईं हैं. इससे इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) के जरिए साल 2022 में महज 57,000 करोड़ रुपये ही जुटाए जा सके हैं. नए साल में इन गतिविधियों में और भी सुस्ती आने का अनुमान है. इस साल आईपीओ के जरिये जुटाए गए फंड में से 20,557 करोड़ रुपये यानी 35 फीसदी हिस्सेदारी अकेले LIC के आईपीओ की थी.
LIC के IPO का कलेक्शन रहा अच्छा
अगर इस साल एलआईसी का आईपीओ नहीं आया होता, तो आरंभिक शेयर बिक्री से होने वाला कुल कलेक्शन और भी कम होता. बढ़ती महंगाई के बीच ब्याज दरों में बढ़ोतरी और मंदी की आशंका की वजह से 2022 का साल निवेशकों के लिए परेशानी भरा रहा है.
ट्रू बीकन एंड जिरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामत ने कहा कि दुनियाभर में वृद्धि के मंद पड़ने के बीच 2023 मुश्किल साल रहने वाला है. उन्होंने कहा कि भारत में भी इसके दुष्प्रभाव नजर आएंगे. उनका अनुमान है कि 2023 में बाजार नरम रह सकता है और आईपीओ के जरिये पूंजी जुटाने की गतिविधियों में भी अगले साल कमी आ सकती है या फिर यह 2022 के स्तर पर ही रह सकता है. जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेस में शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि शेयर बाजारों में अस्थिरता रहने की आशंका के बीच 2023 में आईपीओ का कुल आकार कम रहने का अनुमान है. उन्होंने कहा कि हाल में आए आईपीओ के कमजोर प्रदर्शन का भी निवेशकों पर असर पड़ने और उसकी वजह से निकट भविष्य में कमजोर प्रतिक्रिया रहने का अनुमान है.
इस साल अब तक 36 कंपनियां लेकर आईं IPO
प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 16 दिसंबर तक कुल 36 कंपनियां अपने आईपीओ लेकर आईं हैं, जिससे 56,940 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं. अगले हफ्ते दो और कंपनियों के आईपीओ आने वाले हैं जिसके बाद यह राशि और बढ़ जाएगी. साल 2021 में 63 कंपनियों ने आईपीओ से 1.2 लाख करोड़ रुपये जुटाये थे, जो बीते दो दशकों में आईपीओ का सबसे अच्छा साल रहा था. इससे पहले 2020 में 15 कंपनियों ने आईपीओ के जरिए 26,611 करोड़ रुपये जुटाये थे. आईपीओ के अलावा रूचि सोया की सार्वजनिक पेशकश में 4,300 करोड़ रुपये जुटाए गए थे.
फरवरी में रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ने की वजह से निवेशकों के लिए माहौल परेशानी भरा रहा है, क्योंकि भारत समेत दुनियाभर के बाजारों में गिरावट आई है. इसके अलावा दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने बढ़ती महंगाई को काबू में करने के लिए ब्याज दरें बढ़ाईं हैं. इससे भी शेयर बाजार की धारणा प्रभावित हुई है. इसका असर शेयरों के दाम पर पड़ा और कंपनियों ने आईपीओ लाने की योजना टाल दी.