
मुंबई। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार, 6 जून को अपने एक बयान से राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी। उन्होंने कहा, “मेरे मन में जो है, वही होगा, लेकिन अभी मैं कोई संकेत नहीं दूंगा। कुछ दिनों में मैं खुद खबर साझा करूंगा। इस रहस्यमयी टिप्पणी के बाद शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के संभावित गठबंधन की अटकलें तेज हो गई हैं। ठाकरे ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके कार्यकर्ताओं या शिवसैनिकों के मन में कोई भ्रम नहीं है। हालांकि अभी तक कोई औपचारिक गठबंधन प्रस्ताव सामने नहीं आया है, लेकिन बीते कुछ दिनों से दोनों पक्षों के बीच संवाद और राजनीतिक समीकरणों की संभावनाएं चर्चा में हैं। मनसे की ओर से इस पर मिली-जुली प्रतिक्रिया आई है। मनसे नेता अविनाश देशपांडे ने कहा, “जब कोई ठोस प्रस्ताव सामने आएगा, तब राज ठाकरे निर्णय लेंगे। उद्धव ठाकरे ने कहा है कि महाराष्ट्र के लोगों के मन में जो है, वही होगा। लेकिन 2014 और 2017 में भी कुछ ऐसा ही कहा गया था, तब उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसलिए जनता की भावना से ज़्यादा यह महत्वपूर्ण है कि उद्धव ठाकरे के मन में क्या है। मनसे प्रवक्ता संदीप देशपांडे ने कहा, हम इंतज़ार करेंगे कि उद्धव ठाकरे क्या घोषणा करते हैं। लेकिन हम इस बार ‘प्रतीक्षा और देखो’ की नीति पर चलेंगे।” उन्होंने ठाकरे पर अप्रत्यक्ष रूप से विश्वासघात का आरोप भी लगाया और कहा, “उद्धव ठाकरे को उनके सहयोगियों ने गुमराह किया। उन्होंने वैभव दावली को अपने साथ जोड़ा, जबकि वह कभी भी मनसे पदाधिकारी नहीं रहे। उन्हें हमने 2014 में ही निष्कासित कर दिया था।राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि आगामी विधानसभा चुनावों से पहले ठाकरे और राज ठाकरे की पार्टियों के बीच गठबंधन यदि होता है, तो यह महाराष्ट्र की सियासी तस्वीर को प्रभावित कर सकता है। हालांकि मनसे अपने पुराने अनुभवों के आधार पर सतर्क है और बिना स्पष्ट प्रस्ताव के कोई कदम उठाने को तैयार नहीं दिखती।फिलहाल सभी की नजरें उद्धव ठाकरे की उस घोषणा पर टिकी हैं, जिसका उन्होंने वादा किया है। एक ऐसी घोषणा जो महाराष्ट्र की राजनीतिक दिशा तय कर सकती है।