एफडीए अधिकारियों की मिलीभगत से खाद्य तेल के लिए रीयूज टीन के इस्तेमाल को बढ़ावा
मुंबई। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में खाद्य तेलों में मिलावट की बीमारी कुछ प्लांटों और रिपैकिंग करने वालों में घर कर गई है। इस काले कारोबार पर एफडीए मुंबई मंडल सह आयुक्त शशिकांत केकरे अंकुश लगाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। और यहीं नहीं कई तेल कारोबारियों के तेल में मिलावट व अनियमिता की शिकायत और प्रमाण मिलने के बाद भी सहायक आयुक्त उनपर कार्रवाई करने के बजाएं संरक्षण देने में संलिप्त है। जिसके चलते इन मिलावटखोरो के हौसले बुलंद हैं और आम आदमी पस्त हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र अन्न व औषध प्रशासन के मुम्बई मण्डल के क्षेत्र में खाद्य तेल माफियाओं ने रीयूज टीन का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर कर रहे है। खाद्य तेल की कीमतें आसमान छू रही है तो वहीं ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए तेल माफिया एक बार इस्तेमाल हुए तेल के डिब्बे को दुबारा इस्तेमाल कर रहे है। जिसमे तेल की शुद्धता पर सीधा असर पड़ता है। खाद्य सुरक्षा व मानक अधिनियम २००६ में खाद्य तेल के लिए रीयूज टीन के इस्तेमाल करने वालो पर कार्रवाई का प्रावधान दिया गया है। लेकिन एफडीए के मुम्बई मंडल में बड़े पैमाने पर तेल माफिया रीयूज टीन का इस्तेमाल कर रहे है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मुम्बई के मालाड, अंधेरी, सांताक्रुज, धारावी, गोवंडी, भायखला, नलबाजार व इसके अलावा कई इलाके है जहां ज्यादातर कंपनियां, रिपैकर रीयूज टीन का इस्तेमाल कर सरकार को चुना लगाने के साथ-साथ आम आदमी के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। बता दें कि मलाड पूर्व स्थित शिवम आयल के तेल में कई बार मिलावट व अनियमिता मिली हैं और सांताक्रुज पूर्व मुकेश आयल के तेल में मिलावट होने के बाद भी इन कारोबारियों के लाइसेस रद्द न कर अन्न व औषध प्रशासन में बैठे अधिकारी सिर्फ अपनी तिजोरी भरने में लगे है इन्हें कानून और लोगों के स्वास्थ्य से कोई लेना देना नही है। क्या एफडीए मंत्री संजय राठौड व एफडीए आयुक्त अभिमन्यु काले खाद्य तेल में हो रहे रीयूज टीन पर रोक लगा पाएंगे या फिर ये गोरखधंधा चलता रहेगा?