
मंडी:(Mandi) इतिहास विभाग सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी की इतिहास सोसायटी द्वारा रास बिहारी बोस की जयंती दिवस पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता इतिहास विभाग के संयोजक डॉ राकेश कुमार शर्मा ने की।उन्होंने अपने उद्बोधन में रास बिहारी बोस के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देश के महान क्रांतिकारियों में रासबिहारी बोस का विशेष स्थान है।
उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध स्वतंत्रता संघर्ष में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका हिमाचल से विशेष सम्बंध रहा है। वे आठ महीने साधु के वेश में केलांग में भूमिगत रहे। केलांग में उनकी प्रतिमा स्थापित है।
उन्होने बताया कि उनका जन्म 25 मई,1886 को बंगाल के वर्धमान जिले के सुवालदाह में हुआ। उन्होंने महाविद्यालय शिक्षा चंदननगर के डुप्लेक्स कॉलेज से प्राप्त की।महाविद्यालय के प्राचार्य चारु चंद्र राय से प्रेरित होकर वे क्रांतिकारी राजनीति में आए। उन्होंने फ्रांस और जर्मनी से मेडिकल साइंस और इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। इनकी क्रांतिकारी गतिविधियों का मुख्य केंद्र वाराणसी रहा। वे जून 1915 में जापान चले गए और वहां पर न्यू एशिया नामक समाचार पत्र निकाला। उन्होंने जापानी भाषा सीखी और वहां पर 16 पुस्तकें लिखीं। उन्होंने रामायण का जापानी भाषा में अनुवाद किया। 28 मार्च 1942 को टोक्यो में उन्होंने इंडियन इंडिपेंडेंस आर्मी की स्थापना की।
उन्होने आजाद हिंद फौज की नींव रखी जिसका नेतृत्व नेताजी सुभाष चंद्र बोस को सौंपा। जापान सरकार ने उन्हें ऑर्डर ऑफ द राइजिंग सन के सम्मान से अलंकृत किया था। 21 जनवरी 1945 को रासबिहारी का निधन हो गया। भारतीय राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में उनका अविस्मरणीय योगदान रहा।