
प्याज की कीमतों में लगातार गिरावट से नाराज किसानों ने महाराष्ट्र के नासिक क्षेत्र के लासलगांव और नंदगांव कृषि उत्पाद बाजार समिति (एपीएमसी) में प्याज की नीलामी रोक दी. प्याज की प्रति किलो कीमत घटकर दो से चार रुपए प्रति किलो तक रह गई थी, जिससे किसान काफी नाराज थे. हालांकि नासिक के प्रभारी मंत्री दादा भूसे के आश्वासन के बाद किसानों ने आंदोलन वापस ले लिया. करीब डेढ़ घंटे के आंदोलन के बाद नंदगांव मंडी में नीलामी फिर से शुरू हो गई, लेकिन लासलगांव देश की सबसे बड़ी प्याज मंडी में प्रक्रिया पूरे दिन फिर से शुरू नहीं हो सकी, क्योंकि किसानों ने 10 घंटे तक अपना धरना प्रदर्शन जारी रखा, जब तक कि जिला पालक मंत्री दादा भुसे मुंबई से लासलगांव नहीं पहुंच गए.
एपीएमसी, एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी है. जहां किसान बड़े स्तर पर अपना प्याज बेचने के लिए जाते हैं. प्याज किसानों के एक प्रतिनिधि ने कहा कि सरकार को तुरंत 1,500 रुपए प्रति क्विंटल प्याज का अनुदान घोषित करना चाहिए और उनकी उपज को 15 रुपए से 20 रुपए प्रति किलोग्राम पर खरीदना चाहिए, अन्यथा वे नासिक जिले के लासलगांव एपीएमसी में नीलामी फिर से शुरू नहीं होने देंगे.
नीलामी बंद कर शुरू किया आंदोलन
बता दें कि सोमवार को सप्ताह के लिए बाजार खुलते ही नीलामी की प्रक्रिया शुरू होते ही प्याज का न्यूनतम मूल्य 200 रुपये प्रति क्विंटल, अधिकतम भाव 800 रुपए प्रति क्विंटल और औसत भाव 400-450 रुपए प्रति क्विंटल हो गया. नतीजतन, महाराष्ट्र राज्य कांदा उत्पादक संगठन के नेतृत्व में नाराज किसानों ने प्याज की नीलामी बंद कर दी और आंदोलन शुरू कर दिया. वहीं शनिवार को एपीएमसी में 2,404 क्विंटल प्याज पहुंचा और इसके दाम न्यूनतम 351 रुपए, अधिकतम 1,231 रुपए और औसत 625 रुपए प्रति क्विंटल रहे.
सरकार को करनी चाहिए ये घोषणा
महाराष्ट्र राज्य कांदा उत्पादक संगठन के नेता भरत दिघोले का कहना है कि राज्य विधानमंडल के बजट सत्र के दौरान सरकार को तुरंत प्याज के लिए 1,500 रुपए प्रति क्विंटल के अनुदान की घोषणा करनी चाहिए और उसे मौजूदा समय में 3,4, 5 रुपए प्रति किलोग्राम की कीमत पर बेचे जाने वाले प्याज को 15 रुपए से 20 रुपए प्रति किग्रा की कीमत पर खरीदना चाहिए. अगर आज ये दोनों मांगें नहीं मानी गईं, तो लासलगांव एपीएमसी में प्याज की नीलामी बिल्कुल भी शुरू नहीं होगी.