
सुभाष आनंद
खेतीबाड़ी विशेषज्ञों का कहना है कि जिस प्रकार धड़ाधड़ देशभर में कीटनाशकों की खपत बढ़ रही है वह बेहद ही चिंताजनक है। हम सभी अनाज, सब्जियों और फलों के माध्यम से जहर भी खा रहे हैं जो हमारे शरीर के लिए बेहद नुकसानदायक है। निःसंदेह किसान अपनी फसलों को कीड़ों मकोड़ों से बचाने के लिए कीटनाशक दवाईयों का प्रयोग करते हैं। कीड़े मार दवाईयों की स्प्रे प्रथा धीरे धीरे बढ़ती जा रही है। जिसके कारण लोग अनाज के साथ-साथ धीमा जहर ले रहे हैं साथ ही लोग विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त भी हो रहे हैं। यदि फसलों में इसी गति से पेस्टीसाइड्स डालने की रिवायत कायम रही तो आधे से ज्यादा देश भयानक बीमारियों की जकड़ में आ सकता है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि कीटनाशक दवाई पानी, हवा, वनस्पति को पूरी तरह प्रभावित करती है। आज पंजाब के किसान बिना खेतीबाड़ी विशेषज्ञों की सलाह लिए कीट नाशकों का प्रयोग बड़े धड़ल्ले से कर रहे हैं। पंजाब के केवल मालवा क्षेत्र में ही 60प्रतिशत से ज्यादा कीटनाशक दवाओं का प्रयोग हो रहा है। इसी कारण यहां मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। यहां प्रत्येक किसान भरपूर फसल लेने के लिए कीटनाशकों का खूब उपयोग कर रहे हैं, इसी कारण पिछले दो दशकों में पंजाब में कैंसर के मरीजों की संख्या बड़ी तेजी से बढ़ रही है, महिलाओं में प्रजनन शक्ति कम हो रही है। लिवर खराब हो रहे हैं। उधर, किसानों का कहना है कि यदि फसलों पर स्प्रे ना करे तो फसलों की वृद्धि कम हो जाता है।
वातावरण बदलने के कारण पंजाब में किसान मित्र पक्षियों की संख्या कम हो रही है, जो पहले धरती पर रहने वाले कीड़ों को खा जाते थे। यदि स्प्रे ना किया जाए फ्रीडम कोड फसलों को बड़ा नुकसान पहुंच जाते हैं, उधर खेती बाड़ी विशेषज्ञों का कहना कि कीट नाशक अवशेषों में बड़ी मात्रा में भारी धातु पाई जाती है, बाहरी धातुओं वाले भोजन, सब्जियों और फलों के लंबे समय से सेवन करने से हृदय रोग, गुर्दे फेल होना और फेफड़ों में घुटन इत्यादि शुरू हो जाता है। सतलुज किनारे बसे फिरोजपुर, फाजिल्का इलाके के लोगों ने बताया कि सब्जियों पर जरूरत से ज्यादा स्प्रे के कारण उनमें क्रोमियम, यूरेनियम, सीसा, तांबा, निक्कल और मैंगनीज जैसी हानिकारक भारी धातुएं बड़ी मात्रा में पाई जा रही है। सीमावर्ती क्षेत्रों में पैदा होने वाली सब्जियों में भारी धातुओं की मात्रा तय मूल्यों से अधिक पाई जा रही है। सतलुज में कैडमियम, जिंक, टिन, एटीमनी, लैड, टाइटेनियम जैसी जहरीली भारी धातुएं भारी मात्रा में पाई जा रही हैं। सूत्रों से पता चला के गांवों में प्राप्त होने वाली देसी शराब भी सतलुज में बहाई जा रही है, जो सतलुज के पानी को जहरीला बना रही है। उधर, खेतीबाड़ी विशेषज्ञों की बात मानी जाए तो यह बात किसी हद तक सत्य है कि फसलों के लाभकारी सूक्ष्मजीवों की भूमि में भारी मात्रा में कमी आ रही है और भूमि की गुणवत्ता में भारी गिरावट हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है की कीटनाशक केवल भूमि को ही प्रभावित नहीं करते बल्कि हवा और पानी को भी प्रभावित करते हैं। लोग अनाज, सब्जियों और फलों के साथ-साथ धीमा जहर भी ले रहे हैं जिसका असर धीरे-धीरे हमारी जिंदगी में सामने आ रहा है। वैसे आजकल कई समृद्ध किसान अपने घरेलू खाने के लिए पैदा होने वाला अनाज और सब्जियों के लिए अब ऑर्गेनिक खाद का प्रयोग करने लगे हैं ताकि उनका परिवार स्प्रे के जहर से बचा रह सके। सीमावर्ती क्षेत्रों के किसानों का कहना है कि हम नर्क में जी रहे हैं, सूत्रों से पता चला है कि सतलुज में फेंकी जाने वाली हजारों लीटर देसी शराब भी लोगों के स्वास्थ्य पर जहां कुप्रभाव डाल रही है, वही फसलों को भी प्रभावित कर रही है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए कीटनाशक स्प्रे बड़ी भूमिका निभा रहे हैं, वही वह वातावरण और लोगों की सेहत पर भी कुप्रभाव डाल रहे हैं।