Friday, June 27, 2025
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मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ‘राजस्व अधिकारी पुस्तिका’ के दो खंडों का किया विमोचन, बताया प्रशासनिक सुधार की दिशा में ऐतिहासिक कदम

मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को विधान भवन में आयोजित एक समारोह में ‘राजस्व अधिकारी पुस्तिका’ के दो खंडों का औपचारिक विमोचन किया। इस अवसर पर उन्होंने इसे राज्य प्रशासन के लिए “एक अभूतपूर्व और महत्वपूर्ण पहल” करार देते हुए कहा कि यह पुस्तिका ‘कर्मयोगी भारत’ मिशन को मजबूती प्रदान करेगी, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू की गई है। मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा, “यह पुस्तिका न केवल राजस्व अधिकारियों के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होगी, बल्कि नागरिकों को भी प्रशासनिक प्रक्रियाओं की स्पष्ट जानकारी देगी। यह पारदर्शिता और कुशल प्रशासन की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस अवसर पर राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले, राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजेश कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव डॉ. श्रीकर परदेशी, कोंकण विभागीय आयुक्त डॉ. विजय सूर्यवंशी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
क्यों जरूरी थी यह पुस्तिका?
राजस्व मंत्री बावनकुले ने बताया कि जिला कलेक्टरों, अतिरिक्त जिला कलेक्टरों और अन्य राजस्व अधिकारियों को उनके कार्यों में सहायता देने के उद्देश्य से कानूनों और नियमों पर आधारित इस पुस्तिका की तैयारी की गई। यह पुस्तिका राजस्व कार्यों और गैर-राजस्व कार्यों से संबंधित है, जिससे अधिकारियों को निर्णय प्रक्रिया में त्वरित और सटीक दिशा मिल सकेगी।
संपादन और निर्माण में कौन रहे शामिल?
इस पुस्तिका का संपादन राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजेश कुमार के मार्गदर्शन में हुआ। इस कार्य में कोंकण विभागीय आयुक्त डॉ. विजय सूर्यवंशी, जलगांव जिला कलेक्टर आयुष प्रसाद, अतिरिक्त जिला कलेक्टर अंकुश पिनटे और कोंकण विभाग के सहायक आयुक्त रवींद्र पवार ने अहम भूमिका निभाई। डॉ. विजय सूर्यवंशी ने जानकारी दी कि दोनों खंडों में कुल 24 प्रशासनिक मामलों को शामिल किया गया है, जिनमें खंड-1 में राजस्व कार्य और खंड-2 में गैर-राजस्व कार्य को विस्तारपूर्वक दर्शाया गया है। मुख्यमंत्री ने इस कार्य की सराहना करते हुए कहा कि इस पुस्तिका से प्रशासनिक निर्णयों में एकरूपता आएगी और जनता के प्रति उत्तरदायित्व की भावना और अधिक सशक्त होगी। यह पुस्तिका अब महाराष्ट्र प्रशासन के लिए एक प्रामाणिक मार्गदर्शक दस्तावेज के रूप में कार्य करेगी, जो राजस्व व्यवस्था में पारदर्शिता, त्वरित कार्रवाई और जवाबदेही सुनिश्चित करेगी।

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