
मुंबई। महाराष्ट्र में मॉनसून के आगमन के साथ ही राज्य के विविध पर्यटन स्थलों पर भीड़ बढ़ने लगी है, ऐसे में पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर राज्य सरकार ने गंभीर रुख अपनाया है। मुख्य सचिव सुजाता सौनिक ने संबंधित विभागों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि पर्यटकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए और जहां भी खतरे की संभावना हो, वहां पर्यटन स्थल को अस्थायी रूप से बंद करने से भी गुरेज न किया जाए। सोमवार को एक उच्च स्तरीय बैठक में बोलते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्र, झरने, समुद्र तट, घाट मार्ग और अन्य प्राकृतिक पर्यटन स्थलों पर बारिश के मौसम में हादसों की संभावना बढ़ जाती है। उन्होंने निर्देश दिया कि जिला प्रशासन, पर्यटन विभाग, वन विभाग, पुलिस और स्थानीय स्वराज्य संस्थाएं एक साझा कार्ययोजना बनाएं और उसे तत्काल अमल में लाएं।
मुख्य सचिव ने सभी संवेदनशील पर्यटन स्थलों पर चेतावनी बोर्ड लगाने, सुरक्षा बैरिकेड्स की व्यवस्था करने, प्रशिक्षित बचावकर्मियों की तैनाती सुनिश्चित करने और पर्यटकों को मौसम संबंधी पूर्व जानकारी देने की भी सिफारिश की। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया, वेबसाइट और स्थानीय रेडियो चैनलों के माध्यम से जोखिम की जानकारी व्यापक रूप से प्रसारित की जाए। सोनिक ने यह भी कहा कि कुछ पर्यटक नियमों की अनदेखी कर जोखिम उठाते हैं, जिससे दुर्घटनाएं होती हैं। ऐसे में सख्त निगरानी और यदि आवश्यक हो तो नियमानुसार दंडात्मक कार्रवाई की जाए। साथ ही, स्थानीय प्रशासन को यह अधिकार दिया जाए कि यदि कोई स्थान पर्यटकों के लिए तत्काल खतरा बन रहा हो तो उसे अस्थायी रूप से बंद कर दिया जाए। इस बैठक में पर्यटन विभाग, आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, वन विभाग और पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। सभी जिलाधिकारियों और संभागीय आयुक्तों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्र में सक्रिय निगरानी रखें और समन्वय के साथ कार्य करते हुए पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। मुख्य सचिव के इन निर्देशों को मॉनसून पर्यटन सीजन में एक एहतियातन और समयोचित कदम माना जा रहा है, जिससे न केवल जानमाल की रक्षा हो सकेगी बल्कि राज्य की पर्यटन छवि भी सुदृढ़ बनी रहेगी।