
मुंबई (Pheasant Farming): भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां छोटे और सीमांत किसान खेती के साथ-साथ मुर्गी पालन और बत्तख पालन भी खूब करते हैं। मांस और अंडे बेचकर किसान अच्छी आय अर्जित करते हैं। दिलचस्प बात यह है कि विभिन्न राज्यों में मुर्गी और बत्तख की खेती शुरू करने के लिए किसानों को सरकार द्वारा सब्सिडी भी दी जाती है। वहीं गांव के छोटे किसानों में तीतर पालन का चलन तेजी से विकसित हो रहा है। क्योंकि ग्रामीण इलाकों में भी तीतर के मांस और अंडे की मांग बढ़ गई है। जिससे तीतर पालने वाले किसानों को अच्छी आमदनी हो रही है।
साथ ही, किसानों की राय है कि तीतर की खेती मुर्गियों और मुर्गियों की तुलना में अधिक लाभदायक है। इसे फॉलो करने में खर्चा कम आता है। अगर किसान तीतर पालन शुरू करना चाहते हैं तो उन्हें इसके लिए लाइसेंस लेना होगा। वे लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकते हैं। दरअसल, तीतर एक जंगली पक्षी है। अंधाधुंध शिकार के कारण गांवों से लेकर जंगलों तक के तीतर अब विलुप्त होने के कगार पर हैं। ऐसे में तीतर के शौकीन तीतर किसानों से तीतर के अंडे और मांस खरीद रहे हैं। तीतर को गांवों में छोटी चिड़िया के नाम से भी जाना जाता है।
एक तीतर साल में करीब 300 अंडे देती है।
दिलचस्प बात यह है कि तीतर की खेती शुरू करने में ज्यादा पैसे नहीं लगते हैं। किसान चाहें तो महज कुछ हजार रुपए से घर में ही तीतर की खेती शुरू कर सकते हैं। एक तीतर साल में करीब 300 अंडे देती है। अगर किसान भाई 10 तीतर पालन कर व्यवसाय शुरू करते हैं तो वे एक साल में 3000 अंडे बेचकर अच्छी कमाई कर सकते हैं।
तीतर 45 दिनों में अंडे देना शुरू कर देता है।
तीतर खूब तीतर उगाते हैं। जन्म के एक महीने बाद इसका वजन 200 ग्राम तक हो जाता है। वह 45 दिन के बाद अंडे देना शुरू करती है। डॉक्टरों के अनुसार तीतर के अंडे और मांस खाने से शरीर को आवश्यक मात्रा में विटामिन और पोषक तत्व मिलते हैं। यह वसा, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होता है। इसलिए तीतर का मांस और अंडे जल्दी बिक जाते हैं।