मुंबई। महाराष्ट्र में जारी सियासी अटकलबाजियों के बीच मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अपने परिवार के साथ अपने गांव सतारा के लिए रवाना हो गए हैं। फिलहाल तो यह तीन दिनों का दौरा है। लेकिन बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री के इस दौरे की अवधि बढ़ाई भी जा सकती है। ऐसा नहीं है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद सीएम शिंदे कभी गांव नहीं गए। लेकिन इस बार बताया जा रहा कि वे राज्य के राजनीतिक माहौल से खिन्न हैं। शिंदे गुट के विधायक संजय गायकवाड़ ने बयान दिया है कि उद्धव ठाकरे ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से बातचीत शुरू की है।
एनसीपी नेता के ट्वीट से अटकलबाजी शुरू
मुख्यमंत्री शिंदे के इस तरह से अचानक छुट्टी पर जाने की खबरों में जरा भी दम है तो शायद राज्य में कोई सियासी तूफान इंतजार कर रहा है। वैसे एनसीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता क्लाईड क्रास्टो ने ट्विटर पर जो कुछ लिखा है, उसमें उन्होंने अपने दावे के लिए मीडिया सूत्रों की ओर इशारा किया है।
शिंदे पर फडणवीस से रोल बदलने का दबाव- एनसीपी प्रवक्ता
एनसीपी प्रवक्ता ने लिखा है, ‘क्या यह सही है? खबर यह है कि एकनाथ शिंदे ने कार्य से तीन दिनों की छुट्टी ली है। मीडिया के सूत्र कह रहे हैं कि उन्होंने इसलिए छुट्टी ली है, क्योंकि वह परेशान हैं। बीजेपी चाहती है कि वह महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार में श्री देवेंद्र फडणवीस के साथ ‘रोल बदलें’।’ महाराष्ट्र में मचा है सियासी घमासान हालांकि, मुख्यमंत्री शिंदे के छुट्टी पर जाने की सूचना उनके दफ्तर से आधिकारिक तौर पर नहीं दी गई है। लेकिन, महाराष्ट्र में पिछले कुछ दिनों से एनसीपी और उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली सेना के नेताओं की ओर से जो तरह-तरह के दावे किए जा रहे हैं, उसमें यह एक नई बात जुड़ती दिख रही है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आनेवाला है, क्या सीएम शिंदे को टेंशन दिलाने वाला है?
अगर उद्धव ठाकरे और अमित शाह में किसी तरह का संपर्क ना होने की बातचीत पर भरोसा किया जाए तो एक दूसरी वजह जो एकनाथ शिंदे के नाराज होने के पीछे सामने आ रही है वो यह कि सुप्रीम कोर्ट का शिवसेना विवाद पर फैसला कभी भी आ सकता है। ऐसे में इस बात की भी आशंका है कि कोर्ट मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत उनके समर्थक १६ विधायकों को अयोग्य घोषित कर दे। पर ऐसा लगता नहीं कि अगर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की विधायिकी रद्द कर दी जाती है तो उनकी सरकार को कोई खतरा है। सरकार के पास नंबर्स फिर भी हैं। अगले छह महीने में वे उप चुनाव लड़ कर फिर से चुने जा सकते हैं।