
पुणे। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार को कहा कि पेशेवर सेनाएं अस्थायी नुकसान से प्रभावित नहीं होतीं, क्योंकि समग्र परिणाम कहीं अधिक महत्वपूर्ण होते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत आतंकवाद और परमाणु ब्लैकमेल से डरने वाला देश नहीं है। सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए जनरल चौहान ने कहा कि पाकिस्तान की नीति भारत को “हजारों जख्म” देकर कमजोर करने की रही है, लेकिन भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के माध्यम से सीमापार आतंकवाद के खिलाफ एक नई सैन्य नीति और रेखा तय कर दी है। उन्होंने इस बात को खारिज किया कि प्रारंभिक चरण में भारतीय वायुसेना द्वारा कुछ लड़ाकू विमान खो देने से ऑपरेशन की सफलता पर कोई प्रभाव पड़ा। उन्होंने कहा, “नुकसान मायने नहीं रखता, बल्कि नतीजे मायने रखते हैं। जनरल चौहान ने बताया कि पहलगाम में हुआ आतंकी हमला “हद दर्जे की क्रूरता” थी और ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य पाकिस्तान के प्रायोजित आतंकवाद पर निर्णायक लगाम कसना था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर द्वारा भारत और हिंदुओं के खिलाफ उकसावे वाली भाषा, हमले से कुछ सप्ताह पहले इस्तेमाल की गई, इस्लामाबाद की नीति को दर्शाती है। सीडीएस ने बताया कि पाकिस्तान ने भारत पर 48 घंटे में जवाबी हमला करने की योजना बनाई थी, लेकिन भारत की सटीक और सुनियोजित सैन्य कार्रवाई के चलते पाकिस्तान को केवल आठ घंटे में ही पीछे हटने को मजबूर होना पड़ा। इसके बाद पाकिस्तान ने बातचीत की इच्छा जताई, जिसे भारत ने स्वीकार कर लिया। उन्होंने कहा कि भारत ने आतंकवाद के विरुद्ध न सिर्फ सैन्य स्तर पर बल्कि कूटनीतिक दृष्टिकोण से भी मानदंड ऊंचे कर दिए हैं। “हमने आतंकवाद को पानी से जोड़ा है और सैन्य कार्रवाई की एक नई रेखा खींची है, चौहान ने कहा। जनरल चौहान के बयान के माध्यम से यह स्पष्ट हुआ कि भारत अब सीमित जवाबों की नीति छोड़ चुका है और आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए व्यापक दृष्टिकोण अपना रहा है।