
मुंबई। भारत और जापान के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों को आगे बढ़ाते हुए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने मुंबई स्थित सह्याद्रि अतिथिगृह में जापान के महावाणिज्यदूत यागी कोजी से भेंट कर द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत करने का आह्वान किया। इस शिष्टाचार भेंट के दौरान राज्य में जापानी कंपनियों की बढ़ती भूमिका, निवेश बढ़ाने के उपाय और औद्योगिक समस्याओं के समाधान पर विस्तार से चर्चा हुई। अजीत पवार ने कहा कि भारत और जापान स्वाभाविक मित्र हैं और जापान ने भारत की औद्योगिक प्रगति व बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र में 300 से अधिक और पुणे तथा आसपास के क्षेत्रों में 50 से अधिक जापानी कंपनियां कार्यरत हैं, जो राज्य की औद्योगिक, आर्थिक और सामाजिक प्रगति के साथ रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि राज्य सरकार इन कंपनियों की समस्याओं का समाधान और उद्योग-अनुकूल वातावरण सृजित करने को सर्वोच्च प्राथमिकता देगी। बैठक में राज्य नियोजन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं विकास आयुक्त डॉ. राजगोपाल देवड़ा, वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ओपी गुप्ता, तथा उपमुख्यमंत्री के सचिव डॉ. राजेश देशमुख भी उपस्थित थे। चर्चा में यह स्पष्ट किया गया कि पुणे और अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में सड़क, बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को मजबूत किया जाएगा। विशेष रूप से सनास्वाडी से पिंपल जगताप तक की सड़क के लिए 80 करोड़ रुपये की निधि स्वीकृत की गई है, और भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है। मानसून के बाद इस सड़क पर काम शुरू होगा, जबकि जहां तत्काल मरम्मत की आवश्यकता है, वहां पुणे महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (PMRDA) को कंक्रीट की सड़कें बनाने के निर्देश दिए गए हैं। जापानी कंपनियों की सुविधाओं और समस्याओं पर एक विशेष बैठक पुणे में आयोजित की जाएगी, जिसमें कर नीति, बिजली, पानी और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होगी। साथ ही दोनों पक्षों ने मियावाकी गार्डन, सामाजिक उत्तरदायित्व निधि (CSR), जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA), एसटीपी, और बाढ़ नियंत्रण जैसे मुद्दों पर भी विचार साझा किए। इस मुलाकात के अंत में उपमुख्यमंत्री पवार और महावाणिज्यदूत यागी कोजी ने विश्वास व्यक्त किया कि आने वाले समय में महाराष्ट्र में निवेश का बेहतर वातावरण बनेगा और भारत-जापान मैत्री और भी सशक्त होगी।