मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने गुरुवार को कहा कि शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे का नाम अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन से अलग नहीं किया जा सकता। शिंदे का यह बयान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता चंद्रकांत पाटिल की उस टिप्पणी की पृष्ठभूमि में आया है, जिसमें उन्होंने बाबरी मस्जिद विध्वंस में शिवसैनिकों की भूमिका पर सवाल उठाए थे। पाटिल की टिप्पणी को खारिज करते हुए शिंदे ने कहा कि अयोध्या उनके लिए आस्था का विषय है। मुंबई तक-बैठक संवाद में मुख्यमंत्री ने कहा मैंने भाजपा नेता एवं मंत्री चंद्रकांत पाटिल से दो टूक कहा कि उन्हें बालासाहेब ठाकरे के खिलाफ नहीं बोलना चाहिए था। पाटिल ने कहा था कि 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद को ढहाए जाने के दौरान शिवसेना का एक भी कार्यकर्ता मौजूद नहीं था। उनकी इस टिप्पणी ने भाजपा को मुश्किल में डाल दिया है, क्योंकि वह एकनाथ शिंदे नीत महाराष्ट्र सरकार का हिस्सा है। शिंदे ने कहा अयोध्या मेरे लिए आस्था का विषय है। हमें शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न इसलिए मिला, क्योंकि लोगों ने हमारे रुख को स्वीकार किया है कि हमने बगावत क्यों की। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार राज्य में स्थानीय निकायों के चुनाव कराने को लेकर भयभीत नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा, “अयोध्या आंदोलन से बालासाहेब ठाकरे के नाम को अलग नहीं किया जा सकता है। शिवसेना के दिवंगत संस्थापक ने ‘गर्व से कहो हम हिंदू हैं’ नारा दिया और लोग हिंदुओं के तौर पर एकजुट हो गए। शिंदे ने बताया कि पाटिल ने उनसे कहा कि उनकी मंशा शिवसेना के दिवंगत नेता का अपमान करने की नहीं थी। उन्होंने उद्धव ठाकरे पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा हमने ठाणे से चांदी की ईंटें (अयोध्या) भेजीं। मैं पूछना चाहूंगा कि आज के नेता ‘कार सेवा’ के दौरान कहां थे। शिंदे ने महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी (एमवीए) की ओर से निकाली जा रही ‘वज्रमूठ’ रैलियों पर कटाक्ष करते हुए उन्हें ‘वज्रमुठ’ करार दिया। केंद्र सरकार और हिंदुत्व विचारक वी डी सावरकर पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के हमलों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष सिर्फ देश के भीतर ही नहीं, बल्कि विदेश में भी भारत और महाराष्ट्र का अपमान कर रहा है। उन्होंने कहा यह कुछ और नहीं, बल्कि देशद्रोह है। उद्धव पर निशाना साधते हुए शिंदे ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री के अहंकार के कारण राज्य विकास के मामले में पिछड़ गया। उन्होंने कहा राज्य के कल्याण के लिए केंद्र से मदद मांगने में क्या बुराई है। शिंदे ने कहा कि उनकी सरकार बुनियादी ढांचा विकास पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जो पूर्ववर्ती एमवीए सरकार में रुक गया था। उन्होंने कहा, “कोविड-19 महामारी के दौरान, उद्धव ठाकरे का योगदान लोगों को घर बैठाने में था। मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष इस तक्ष्य को पचा नहीं पा रहा है कि हमारी सरकार अच्छा काम कर रही है। उन्होंने कहा कि 2019 में शिवसेना-भाजपा गठबंधन को जनादेश मिला था और अगर एमवीए की सत्ता बरकरार रहती, तो शिवसेना के विधायकों का भविष्य अंधकारमय होता। शिंदे ने कहा कि ‘गद्दार’ का तमगा उद्धव ठाकरे को दिया जाना चाहिए, न कि उन्हें। यह पूछे जाने पर कि क्या वह शिवसेना के मुख्य नेता हैं, शिंदे ने कहा कि वह एक कार्यकर्ता हैं और हमेशा रहेंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या 2024 का विधानसभा चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ा जाएगा, शिंदे ने कहा कि चुनाव अभी काफी दूर हैं। मुख्यमंत्री ने कहा प्रमुख चेहरा होना कोई मायने नहीं रखता। कार्यकर्ता पार्टी का चेहरा होते हैं। 16 बागी सदस्यों की अयोग्यता से जुड़े सवाल पर शिंदे ने कहा कि उनकी सरकार संवैधानिक और लोकतांत्रिक नियमों के अनुरूप है। उन्होंने कहा उच्चतम न्यायालय के आदेश का इंतजार करते हैं। मैं किसी दबाव में नहीं हूं। मैं दबाव में अपनी नैतिकता और सिद्धांतों से समझौता नहीं करता। शिंदे ने अजित पवार के नेतृत्व में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के एक गुट के महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना-भाजपा गठबंधन में शामिल होने की अटकलों पर कोई भी प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया।