
नागपुर। वरिष्ठ भाजपा नेता और विधायक संदीप जोशी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर करारा प्रहार करते हुए कहा है कि वे इस समय गोएबल्स की नीति अपना रहे हैं, जिसमें किसी झूठ को बार-बार बोला जाए तो लोग उसे सच मानने लगते हैं। जोशी का यह बयान राहुल गांधी द्वारा नागपुर दक्षिण-पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में पांच महीने में मतदान प्रतिशत में असामान्य रूप से 8 प्रतिशत और कुछ बूथों पर 50 प्रतिशत तक वृद्धि को लेकर लगाए गए आरोप के संदर्भ में आया है। जोशी ने इसे न केवल देवेंद्र फडणवीस पर बल्कि महाराष्ट्र की पूरी चुनावी प्रक्रिया पर अविश्वास जताने का प्रयास बताया है। उन्होंने तथ्यों के साथ स्पष्ट किया कि केवल नागपुर ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र के कई विधानसभा क्षेत्रों में 8 प्रतिशत से अधिक मतदान वृद्धि हुई है और इनमें से अनेक सीटों पर कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने जीत दर्ज की है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि पश्चिम नागपुर में कांग्रेस के विकास ठाकरे की जीत के साथ 7 प्रतिशत वृद्धि, उत्तर नागपुर में नितिन राउत की जीत के साथ 7 प्रतिशत वृद्धि, पुणे के वडगांव शेरी में एनसीपी (शरद पवार गुट) के बापूसाहेब पठारे की जीत पर 10 प्रतिशत वृद्धि, मलाड पश्चिम में कांग्रेस के असलम शेख की जीत के साथ 11 प्रतिशत और मुंब्रा में एनसीपी के जितेंद्र आव्हाड की जीत के साथ 9 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई। उन्होंने सवाल किया कि अगर भाजपा की सफलता को “घोटाला” कहा जा रहा है, तो कांग्रेस की जीत को “लोकतंत्र की विजय” क्यों माना जा रहा है? जोशी ने कहा कि जब कांग्रेस तेलंगाना और कर्नाटक में जीतती है, तब ईवीएम की कोई बात नहीं होती, लेकिन भाजपा के जीतते ही लोकतंत्र खतरे में बताया जाने लगता है। उन्होंने कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने लोकसभा चुनाव के बाद मतदाता पंजीकरण अभियान, जनजागृति कार्यक्रमों और बूथ सशक्तिकरण पर जोर दिया, जिसका सकारात्मक असर मतदान प्रतिशत पर पड़ा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि लोकसभा चुनाव गर्मियों में और विधानसभा चुनाव अक्टूबर में हुए, जिससे मौसमी फर्क का भी असर पड़ा है। जोशी ने यह भी कहा कि मतदाताओं ने भाजपा सरकार की योजनाओं जैसे ‘लाड़की बहन योजना’, जनधन खाता, मेट्रो और बुलेट ट्रेन, नलगंगा-वेनगंगा परियोजना और निलवंडे बांध जैसी वर्षों से लंबित परियोजनाओं पर विश्वास जताया, जिसने भाजपा की जीत को संभव बनाया। उन्होंने अंत में कहा कि कांग्रेस झूठे आरोपों और नारों के सहारे अपनी असफलताओं को छिपाने की कोशिश कर रही है और राहुल गांधी उसी ढर्रे पर चल रहे हैं।