
मुंबई। महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एसटी) के पास राज्यभर में बस स्टैंडों और डिपो के रूप में मौजूद असीमित भूमि संसाधन अब निगम की आय बढ़ाने का माध्यम बन सकते हैं। परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि निगम की इन जमीनों का विकास पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत किया जाए, जिससे निगम की राजस्व आय में तीव्र वृद्धि सुनिश्चित की जा सके। इस संबंध में मुंबई स्थित एसटी महामंडल के केंद्रीय कार्यालय में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में मंत्री सरनाईक ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि स्थानीय परिस्थितियों और बाजार मांग को ध्यान में रखते हुए जमीनों का वर्गीकरण किया जाए और उनके विकास के लिए व्यवस्थित पैकेजिंग की जाए। बैठक में महामंडल के महाप्रबंधक (सिविल इंजीनियरिंग) दिनेश महाजन, वास्तुविद श्री लाहिवाल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। मंत्री सरनाईक ने प्रस्ताव रखा कि इन जमीनों को ‘ए’, ‘बी’ और ‘सी’ श्रेणियों में विभाजित किया जाए — जहां ‘ए’ शहरी क्षेत्रों की, ‘बी’ अर्ध-शहरी और ‘सी’ ग्रामीण क्षेत्रों की संपत्तियों का प्रतिनिधित्व करेगा। इन सभी को मिलाकर 72 पैकेजों के माध्यम से व्यावसायिक विकास की कार्ययोजना तैयार की जा रही है। परिवहन मंत्री ने इस बात पर भी बल दिया कि प्रत्येक पैकेज में शामिल जमीनों की संपत्ति कीमत का संतुलन भी सुनिश्चित किया जाए, ताकि निवेशकों को आकर्षित किया जा सके। उन्होंने अधिकारियों से यह भी कहा कि यदि पैकेजों में कोई त्रुटि या सुधार की आवश्यकता हो, तो उसे तत्काल दूर किया जाए। सरनाईक ने अधिकारियों से आग्रह किया कि इस कार्य में तेजी लाई जाए और पीपीपी मॉडल के माध्यम से विकास कार्यों को शीघ्रतापूर्वक और पारदर्शिता के साथ पूर्ण किया जाए। उनका यह भी मानना है कि इन संपत्तियों का सही ढंग से उपयोग करने से एसटी निगम आत्मनिर्भर बन सकेगा, साथ ही यात्रियों के लिए भी बेहतर सुविधाएं विकसित होंगी।