
मुंबई। बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) में भ्रष्टाचार की गहराई का एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। मुंबई भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने गुरुवार को बीएमसी के एच/पूर्व वार्ड (सांताक्रूज़ पूर्व) में तैनात सेनेटरी इंस्पेक्टर सरबजीत सिंह बाजवा को 2 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। शिकायतकर्ता एक कंसल्टेंसी फर्म चलाता है जो व्यवसायियों को स्वास्थ्य लाइसेंस, बिल्डिंग परमिट और अन्य जरूरी सरकारी अनुमतियां दिलाने में मदद करता है। उसके एक ग्राहक को प्रतिष्ठान के लिए बीएमसी से स्वास्थ्य लाइसेंस चाहिए था। इसके लिए वह एच/पूर्व वार्ड कार्यालय पहुंचा और सेनेटरी इंस्पेक्टर सरबजीत सिंह बाजवा से मिला। बाजवा ने पहले 2 लाख रुपये की रिश्वत मांगी और कहा कि पहले ऑनलाइन आवेदन करें। शिकायतकर्ता ने ऑनलाइन आवेदन करने के बाद 2 लाख रुपये का भुगतान कर दिया और लाइसेंस भी मिल गया। लेकिन बाद में वार्ड कार्यालय के एक अन्य कर्मचारी ने निरीक्षण के बाद उस लाइसेंस को गलत ठहराया और शिकायतकर्ता को दफ्तर बुलाया गया। वार्ड कार्यालय में बाजवा और अन्य कर्मचारियों ने दोबारा 5 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की। चूंकि पहले 2 लाख दिए जा चुके थे, इसलिए शेष 3 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की गई। जब शिकायतकर्ता ने रिश्वत देने से इनकार कर दिया, तो उसने 14 मई को एसीबी कार्यालय जाकर शिकायत दर्ज कराई। 15 मई को की गई सत्यापन प्रक्रिया में बाजवा ने शेष 3 लाख में से 2.5 लाख पर सहमति जताई। गुरुवार को एसीबी ने कार्रवाई करते हुए बाजवा को 2 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया। एसीबी ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इस गिरफ्तारी ने एक बार फिर बीएमसी में फैले भ्रष्टाचार पर सवाल खड़े कर दिए हैं, विशेषकर वार्ड स्तर पर। इससे पहले भी कई वार्डों में इसी तरह के भ्रष्टाचार के मामले सामने आ चुके हैं। एसीबी की यह कार्रवाई बीएमसी के अन्य भ्रष्ट अधिकारियों के लिए चेतावनी मानी जा रही है।