Sunday, September 15, 2024
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वैष्णव रामानंद चतुर्थ सम्प्रदाय सेवा समिति का प्रथम स्नेह सम्मेलन का समापन

मुंबई। वैष्णव रामानंद चतुर्थ संप्रदाय सेवा समिति नालासोपारा वसई नयागांव द्वारा प्रथम स्नेह मिलन हर्षोल्लास से संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ संतो द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। बालक बालिकाओं द्वारा नृत्य महिला मंडल द्वारा गरबा प्रतिभावान छात्र छात्राओं को पारितोषिक मनोहर दास, घनश्याम दास लापोद द्वारा वितरित किया गया। एवं वरिष्ठ नागरिकों का राजस्थानी रीति रिवाज से भामाशाहो का सम्मान किया गया ।कार्यक्रम में वैष्णव समाज के समस्त वरिष्ठो द्वारा कार्यकारिणी कमेटी के सदस्यों को आशिर्वाचन सहित सम्बोधित किया गया। तथा समाज की प्रगति कैसे हो उस विषय में मार्गदर्शन किया। मंच संचालन हितेश वैष्णव पाली एवं भजन प्रस्तुति चंद्रशेखर चांचौडी द्वारा दी गई। आयोजन के अवसर पर उपस्थित भाजपा जिला अध्यक्ष श्री राजन नाईक, जिला उपाध्यक्ष एवं प्रवक्ता श्री मनोज बारोट, भाजपा जिला युवा मोर्चा अध्यक्ष श्रीअभय कक्कड़ सहित सर्व अतिथियों ने मंच द्वारा सर्व वैष्णव समाज को सम्बोधित किया। श्री राजन नाईक द्वारा समाज सेवा व देशहित में कार्य करने के विषय में युवा कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ाया।पूर्व सभापति वसई विरार महानगरपालिका श्री नीलेश देशमुख द्वारा समाज बंधुओं को संगठित रहकर समाज सेवा करने का आह्वान किया। गौ रक्षक राजेश पाल, परेश भाई बावीसी एवं विशाल दुबे (शिवसेना) ने समारोह में उपस्थिति दर्ज की। सम्मेलन को सफल बनाने में श्री भगवानदास खारडा, प्रवीण वैष्णव बिजोवा, नाथू दास चांचोडी, मोहनदास जोईला, हरिदास कोलीवाड़ा, भंवर दास माताजी गुडा, चंपालाल मेवी, नरेंद्र धुमडीया, राजू दास रानीवाड़ा, अर्जुन दास धुमडीया ,कांतिलाल उनडी, कपूर दास नरसाना समेत सभी वरिष्ठो के मार्गदर्शन में हुआ। समारोह में उपस्थित कार्यकर्ता दिनेश देसूरी, जगदीश गुडा केसर सिंह, ओम डुठारिया, प्रदीप जोईला, इंदर दास दादई, जगदीश माताजी गुडा, घनश्याम ईटन्द्रा मेड़तिया, अभिषेक खारडा पुष्कर माताजी वाड़ा, महेश बोर्डी, भैरू दास राणावास, सुनील कंटालिया, मनोहर दास लापोद, दिनेश आनेवा, प्रवीण जोहिला, नरेश सोमेसर, महेंद्र पनौता, योगेश हरजी, दशरथ मेवी, प्रेमदास पनौता, राकेश नारलाई सहित सभी कार्यकर्ताओं द्वारा पूर्ण समारोह को सफल बनाने का श्रेय मिला माथे पर तिलक, गले में तुलसी, मुख में राम नाम, हृदय में दया यही है वैष्णव की पहचान, इसी प्रकार के श्लोको के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

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