मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) की कार्यकारी अध्यक्ष व सांसद सुप्रिया सुले ने सोमवार को सेबी की अध्यक्ष माधवी पुरी बुच के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों पर संसद में चर्चा की मांग की है। अमेरिकी शोध एवं निवेश फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अदाणी समूह के खिलाफ कार्रवाई में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की अध्यक्ष की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। फर्म ने संदेह जताया है कि सेबी की अनिच्छा का कारण बुच और उनके पति की अदाणी समूह से जुड़े विदेशी कोष में हिस्सेदारी हो सकती है।
हिंडनबर्ग के आरोप और अदाणी समूह का खंडन
हिंडनबर्ग ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में दावा किया है कि बुच और उनके पति धवल बुच ने बरमूडा और मॉरीशस में स्थित कुछ विदेशी कोषों में अघोषित निवेश किया था। फर्म ने आरोप लगाया कि ये वही कोष हैं जिनका उपयोग विनोद अदाणी, जो कि गौतम अदाणी के बड़े भाई हैं, ने अदाणी समूह में धन की हेराफेरी और शेयर की कीमतें बढ़ाने के लिए किया था। अदाणी समूह ने इन आरोपों को दुर्भावनापूर्ण और आधारहीन बताते हुए खारिज कर दिया है और स्पष्ट किया है कि उनका बुच के साथ कोई व्यावसायिक संबंध नहीं है।
भाजपा की प्रतिक्रिया और जेपीसी जांच की मांग को खारिज
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस की ओर से सेबी प्रमुख के खिलाफ संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग को खारिज कर दिया है। भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह मांग भारतीय अर्थव्यवस्था को कमजोर करने और देश में निवेश के माहौल को नष्ट करने का एक ढकोसला है। उन्होंने यह भी कहा कि हिंडनबर्ग के आरोप और विपक्ष की सेबी की आलोचना एक व्यापक साजिश का हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य भारत की वैश्विक छवि को नुकसान पहुंचाना है। प्रसाद ने आरोप लगाया कि हिंडनबर्ग के पीछे अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरोस का हाथ है, जो मोदी सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान चलाने के लिए जाने जाते हैं।
संसद में बहस की जरूरत- सुप्रिया सुले
सुप्रिया सुले ने कहा कि इन आरोपों पर संसद में बहस होनी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके और देशवासियों के सामने सभी तथ्यों को रखा जा सके। उन्होंने कहा कि जब तक सही आंकड़े और प्रमाण नहीं मिल जाते, तब तक इन आरोपों का खंडन ही किया जा सकता है। सुले की मांग ने इस मामले को और भी ज्यादा संवेदनशील बना दिया है, जिससे यह साफ हो गया है कि विपक्ष इस मुद्दे को संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह उठाने के लिए तैयार है।