
मुंबई। महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मामला सुलझने का नाम नहीं ले रहा है। मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मनोज जरांगे पाटिल चौदह दिन से भूख हड़ताल पर बैठे है। डॉक्टरों ने बताया कि अनशन के चौदहवें दिन जरांगे के शरीर में शुगर और पानी का स्तर काफी कम हो गया है और उनका स्वास्थ्य लगातार गिर रहा है। इस बीच उन्होंने दवा और इलाज लेने से भी इनकार कर दिया है। जिससे उनकी हालत बिगड़ती जा रही है। मराठा आंदोलन की पहचान बन चुके मनोज जरांगे ने इलाज कराने से इनकार कर दिया है। उन्होंने पानी पीना भी बंद कर दिया है। जरांगे ने सलाइन लगाने से भी इनकार कर दिया है। इस वजह से उनकी तबियत खराब हो रही है। बताया जा रहा है कि उन्हें बोलने में भी दिक्कत हो रही है।
बिगड़ रही तबियत!
डॉक्टरों ने कहा कि मनोज जरांगे बहुत कमज़ोर हो गए हैं। उन्होंने रविवार से पानी लेना बंद कर दिया है। डॉक्टर ने बताया कि उन्होंने कल रात से ब्लड शुगर समेत अन्य सभी जांच कराने से भी इनकार कर दिया है। डॉक्टर अभी तक मनोज जरांगे के शरीर में सलाइन के जरिये तरल पदार्थ पहुंचा रहे थे। लेकिन जरांगे ने अब कह दिया है कि उन्हें मराठा आरक्षण दिलाने के लिए सलाइन की जरूरत है।
विपक्ष पर भी मराठा समुदाय की नजर
भूख हड़ताल पर बैठे मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने सोमवार को कहा कि हमने न्याय पाने के लिए 70 साल तक इंतजार किया है और सत्तारूढ़ तथा विपक्षी दलों को इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। मराठा समुदाय अब और प्रतीक्षा नहीं कर सकता। उन्होंने फिर कहा कि अनशन तब तक चलेगा, जब तक महाराष्ट्र के मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत कुनबी प्रमाणपत्र नहीं मिल जाता है। मराठा समुदाय सरकार और विपक्ष दोनों पर नजर बनाये हुए है।
29 से शुरू किया था आंदोलन
मराठा क्रांति मोर्चा के नेता मनोज जरांगे पाटिल ने 10 सितंबर को भूख हड़ताल की मांग को ठुकराते हुए कहा था कि जब तक मराठा समुदाय को कुनबी जाति के प्रमाणपत्र नहीं दिए जाएंगे तब तक वह भूख हड़ताल पर रहेंगे। डॉक्टरों की एक टीम जरांगे के स्वास्थ्य पर नजर रख रही है। आज जब उनके स्वास्थ्य की जांच की गई तो डॉक्टरों ने उन्हें भूख हड़ताल पर उनके स्वास्थ्य पर पड़ रहे प्रभाव के बारे में बताया और उनसे उपचार का अनुरोध किया तो जरांगे ने कहा कि आरक्षण मेरे लिए सबसे अच्छा इलाज है। मराठा आरक्षण के लिए मनोज जारांगे पाटिल ने 29 अगस्त से आंदोलन शुरू किया था।