
मुंबई। राज्य सरकार की त्रिभाषा नीति के अंतर्गत कक्षा 4 तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य किए जाने की योजना के खिलाफ शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) 5 जुलाई को संयुक्त रूप से विरोध मार्च निकालेंगी। यह घोषणा शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में की। राउत ने कहा कि हम हिंदी के विरोध में नहीं हैं, लेकिन बच्चों पर अतिरिक्त भाषाई बोझ डालना अनुचित है। उन्होंने बताया कि पहले उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने 6 और 7 जुलाई को अलग-अलग रैलियों की योजना बनाई थी, लेकिन बातचीत के बाद 5 जुलाई को संयुक्त आंदोलन करने का निर्णय लिया गया। संजय राउत ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर भी निशाना साधते हुए उन्हें “महाराष्ट्र का राजनीतिक दुश्मन” करार दिया और 2022 में शिवसेना विभाजन के लिए जिम्मेदार ठहराया। विवाद उस समय गहरा गया जब सरकार द्वारा कक्षा 4 तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने की खबरें सामने आईं। 24 जून को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि त्रिभाषा नीति पर कोई भी अंतिम निर्णय भाषा विशेषज्ञों, साहित्यकारों, राजनीतिक नेताओं और अन्य हितधारकों से परामर्श के बाद ही लिया जाएगा। इस विषय पर ‘वर्षा’ आवास पर हुई बैठक में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, स्कूली शिक्षा मंत्री दादा भुसे, मंत्री डॉ पंकज भोयर और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में यह भी तय किया गया कि सभी राज्य और राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट के माध्यम से मराठी छात्रों को नुकसान न हो, इसकी जांच कर विशेषज्ञ प्रस्तुति तैयार की जाएगी। स्कूली शिक्षा मंत्री दादा भुसे अब इस परामर्श प्रक्रिया की शुरुआत करेंगे। तब तक किसी भाषा को अनिवार्य करने या त्रिभाषा नीति में बदलाव पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया जाएगा। राजनीतिक रूप से यह विरोध न केवल मराठी अस्मिता का मुद्दा बनता जा रहा है, बल्कि 2024 में घोषित नई शिक्षा नीति और राज्य-केंद्र संबंधों को लेकर भी एक बड़ा विमर्श उभरता दिख रहा है।