
नवी मुंबई। नवी मुंबई नगर निगम (एनएमएमसी) और मुंबई विश्वविद्यालय के बीच ‘डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर विचार’ विषय पर एक वर्षीय स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू करने हेतु गुरुवार को एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए। यह शैक्षणिक पाठ्यक्रम 1 जुलाई 2025 से ऐरोली सेक्टर 15 स्थित भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक में प्रारंभ होगा। मुंबई विश्वविद्यालय के सभागार में हुए इस समारोह में एनएमएमसी आयुक्त डॉ. कैलास शिंदे और विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रवींद्र कुलकर्णी ने MoU पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर दोनों संस्थाओं के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
‘ज्ञान स्मारक’ की दिशा में बड़ा कदम
एनएमएमसी आयुक्त डॉ. कैलास शिंदे ने कहा कि यह पहल डॉ. आंबेडकर स्मारक को केवल स्मृति स्थल न रखकर एक “ज्ञान स्मारक” के रूप में विकसित करने की दिशा में एक ठोस कदम है। यह डिप्लोमा कोर्स न केवल शैक्षणिक अवसरों को बढ़ाएगा, बल्कि स्मारक को विचार, संवाद और सामाजिक न्याय का जीवंत केंद्र बनाएगा।
पाठ्यक्रम में भागीदारी का लचीलापन
डिप्लोमा कोर्स के लिए प्रवेश प्रक्रिया मुंबई विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से की जाएगी। इच्छुक छात्र या तो विश्वविद्यालय परिसर में या ऐरोली स्मारक स्थल पर कक्षाएं लेने का विकल्प चुन सकेंगे। मुंबई विश्वविद्यालय यह पाठ्यक्रम पूर्व से चलाता आ रहा है, लेकिन यह पहली बार होगा जब यह कार्यक्रम नवी मुंबई में सुलभ होगा।
स्मारक को बनेगा शोध और शिक्षा का केंद्र
उप नगर आयुक्त संघरत्ना खिल्लारे, जो स्मारक की प्रमुख भी हैं, ने बताया कि यह पहल डॉ. अंबेडकर की विचारधारा को नई पीढ़ी तक पहुंचाने और इसे संस्थागत रूप देने की दिशा में एक प्रभावी प्रयास है। इसके साथ ही सामाजिक न्याय और पाली भाषा जैसे अन्य पाठ्यक्रम भी स्मारक में प्रस्तावित हैं। मुंबई विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रवींद्र कुलकर्णी ने जानकारी दी कि ऐरोली स्मारक स्थल पर एक समर्पित शोध केंद्र स्थापित करने की भी योजना है, जिससे इस क्षेत्र में अनुसंधान और अध्ययन को और बल मिलेगा।
आगामी योजनाओं में समावेश और सशक्तिकरण पर फोकस
एनएमएमसी आयुक्त डॉ. शिंदे ने स्पष्ट किया कि यह डिप्लोमा पाठ्यक्रम स्मारक को समावेशी और सुलभ बनाने की बड़ी रणनीति का हिस्सा है। आने वाले समय में सामाजिक न्याय, महिला सशक्तिकरण, श्रमिक अधिकारों और बाल कल्याण पर आधारित गतिविधियों और पाठ्यक्रमों की शुरुआत की जाएगी। यह पाठ्यक्रम नवी मुंबई में शैक्षिक नवाचार का उदाहरण बनेगा और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की वैचारिक विरासत को स्थायी रूप से जनमानस से जोड़ेगा।