
मुंबई। समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आसिम आजमी ने केंद्र सरकार के प्रस्तावित वक्फ कानून को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे “मुसलमानों के खिलाफ साजिश” करार देते हुए सरकार से बिल को वापस लेने की मांग की है। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अगर किसानों का बिल आंदोलन से वापस हो सकता है, तो मुस्लिम समुदाय भी संघर्ष के लिए तैयार रहे। आजमी ने कहा, आप सबको मालूम है कि ये बिल मुसलमानों के खिलाफ है। अब हमें यह तय करना है कि हमें क्या करना चाहिए। अगर किसान कई महीनों तक सर्दी में धरना देकर सरकार को झुका सकते हैं, तो हम भी वैसा कर सकते हैं। अगर एकजुट होकर संघर्ष करेंगे, तो सरकार को वक्फ बिल वापस लेना ही पड़ेगा।
‘मुसलमानों से जमीनें छीनी जा रही हैं’
अपने बयान में अबू आजमी ने केंद्र सरकार और सांप्रदायिक हिंसा के मामलों को लेकर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, “2014 के बाद से देश में मुसलमानों से जमीनें तक छीनी जा रही हैं। मोहन भागवत कहते हैं कि हमारे देश में नाम और धर्म पूछकर नहीं मारा जाता, लेकिन एक पुलिसवाले ने ट्रेन में तीन मुसलमानों को गोली मार दी और उनके शरीर पर पैर रखकर कहा कि इस देश में रहना है तो मोदी-योगी कहना होगा।
‘संविधान अब सिर्फ किताबों तक सीमित’
उन्होंने आरोप लगाया कि “संविधान अब केवल किताबों तक सीमित रह गया है। मुसलमानों के खिलाफ हर दिन कुछ न कुछ हो रहा है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। लाउडस्पीकर हटाए जा रहे हैं, मस्जिदों के बाहर नमाज़ की अनुमति नहीं दी जा रही है। आजमी ने आगे कहा, अब समय आ गया है कि सभी मुसलमान और सेक्युलर हिंदू भाई एक साथ आएं। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को नेतृत्व संभालना चाहिए। यह किसी एक वर्ग का मुल्क नहीं है, यह हम सबका देश है। जरूरत पड़ी तो हम अपनी जान देने को भी तैयार हैं। अबू आजमी के बयान से राजनीतिक तापमान बढ़ गया है। जहां एक ओर मुस्लिम समुदाय से जुड़े कई संगठनों ने बिल को लेकर चिंता जताई है, वहीं भाजपा नेताओं ने आजमी के बयान को “भड़काऊ और राष्ट्रविरोधी मानसिकता का प्रतीक” बताया है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सियासी घमासान और तेज़ हो सकता है।