Saturday, June 7, 2025
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राज ठाकरे का सरकार को अल्टीमेटम: “हिंदी अनिवार्यता लागू हुई तो होगा आंदोलन”

मुंबई। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के प्रमुख राज ठाकरे ने राज्य की शिक्षा नीति में हिंदी को अनिवार्य भाषा के रूप में शामिल करने के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को खुली चेतावनी दी है। ठाकरे ने महाराष्ट्र सरकार के स्कूल शिक्षा मंत्री दादा भूसे को एक पत्र लिखकर साफ किया है कि यदि पहली कक्षा से हिंदी भाषा को अनिवार्य किया गया तो उनकी पार्टी आंदोलन करेगी, और उसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी। राज ठाकरे ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर यह पत्र सार्वजनिक करते हुए लिखा, पिछले दो महीनों से सरकार पहली कक्षा से हिंदी पढ़ाने को लेकर चर्चा में है। शुरुआत में घोषणा की गई थी कि छात्रों को तीन भाषाएं पढ़ाई जाएंगी और हिंदी तीसरी अनिवार्य भाषा होगी। हमने इसका विरोध किया और जनता की भावना इतनी प्रबल हुई कि सरकार को यह स्पष्टीकरण देना पड़ा कि हिंदी अनिवार्य नहीं होगी।
“हिंदी कोई राष्ट्रीय भाषा नहीं है”
राज ठाकरे ने अपने पत्र में स्पष्ट शब्दों में लिखा कि “हिंदी कोई राष्ट्रीय भाषा नहीं है। यह देश की अन्य प्रांतीय भाषाओं के समान एक भाषा मात्र है। फिर उसे सीखना अनिवार्य क्यों बनाया जा रहा है?” उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या सरकार किसी ‘दबाव’ में आकर यह निर्णय ले रही है? ठाकरे ने यह भी कहा कि सरकार की तरफ से यह कहा गया था कि महाराष्ट्र राज्य बोर्ड के स्कूलों में पहली कक्षा से केवल दो भाषाएं (मराठी और अंग्रेज़ी) पढ़ाई जाएंगी, लेकिन इस पर अभी तक कोई लिखित अध्यादेश नहीं आया है।
कहीं छपी हुई हिंदी की किताबें फिर से लागू तो नहीं होंगी?
राज ठाकरे ने शंका जताई कि हिंदी को अनिवार्य बनाने के पिछले प्रयासों के आधार पर स्कूलों में हिंदी की किताबों की छपाई पहले ही शुरू हो चुकी है। उन्होंने चेताया, “अगर सरकार अपने ही पुराने निर्णय के विरुद्ध जाकर फिर से हिंदी को अनिवार्य करने की योजना बनाती है, तो एमएनएस तीव्र आंदोलन करेगी।”
सरकार दिखाए मराठी की तरह भाषाई अस्मिता
राज ठाकरे ने अन्य राज्यों का उदाहरण देते हुए कहा कि कई राज्यों ने अपने स्कूलों में हिंदी की अनिवार्यता को खारिज कर दिया है और केवल दो भाषाएं अपनाई हैं। उन्होंने मंत्री से सवाल किया, आप और आपके साथी मंत्री जन्म से मराठी हैं, तो फिर आप मराठी की अस्मिता को लेकर वैसा ही रुख क्यों नहीं अपनाते?उन्होंने यह भी मांग की कि शिक्षा विभाग को तत्काल लिखित आदेश जारी कर यह स्पष्ट करना चाहिए कि पहली कक्षा से केवल दो भाषाएं- मराठी और अंग्रेज़ी ही पढ़ाई जाएंगी।

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