मुंबई। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मंगलवार को पुणे की पूर्व पुलिस आयुक्त मीरा बोरवणकर के इस दावे को खारिज कर दिया कि 2010 में पुणे जिले के प्रभारी संरक्षक मंत्री के तौर पर उन्होंने (पवार ने) उनसे पुलिस की तीन एकड़ जमीन सौंपने के लिए कहा था क्योंकि वह भूखंड एक बिल्डर को नीलाम कर दिया गया था। पवार ने संवाददाताओं से कहा कि मेरी उस भूखंड को लेकर कोई भूमिका नहीं है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता ने कहा मैं उस (पुणे के यरवदा का भूखंड) बारे में निर्णय लेने वाली किसी बैठक में शामिल नहीं हुआ। पवार ने कहा कि उन्होंने तत्कालीन गृह मंत्री आर आर पाटिल को भूखंड के बारे में फैसला करते समय ‘ऐसा या वैसा करने’ का ‘कोई निर्देश’ नहीं दिया था। भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की पूर्व अधिकारी मीरा ने कहा था कि बिल्डर डीबी रियल्टी कंपनी के शाहिद बलवा थे। बलवा को बाद में 2जी घोटाला से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया गया था। मीरा ने अपने संस्मरण में पवार का नाम नहीं लिया लेकिन कहा कि उन्होंने जमीन सौंपे जाने का विरोध किया था। मीरा ने सोमवार को नयी दिल्ली में एक प्रेस वार्ता में, बिल्डरों और सरकार की ‘साठगांठ’ को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, ‘मैं सरकारी भूमि की बिक्री से संबंधित बिल्डर-नेता-नौकरशाह-पुलिस गठजोड़ को उजागर करना चाहती हूं। लोगों को सतर्क रहना चाहिए। कांग्रेस और शरद पवार की पार्टी राकांपा के नेता रोहित पवार ने इस मामले की न्यायिक जांच की मांग की है।