
मुंबई। करंजा, आनंदवाड़ी, मिरकरवाड़ा और ससून डॉक जैसे महत्वपूर्ण बंदरगाह कोंकण क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक हैं और इन परियोजनाओं को गति और पारदर्शिता के साथ पूरा किया जाना चाहिए, ऐसा मत्स्य पालन और बंदरगाह मंत्री नितेश राणे ने कहा। मंत्रालय में आयोजित विभागीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने यह निर्देश दिए। इस बैठक में विभाग के आयुक्त किशोर तावड़े, महाराष्ट्र मत्स्य विकास निगम के प्रबंध निदेशक अविनाश पाठक, उप सचिव श्री जाकाटे, संयुक्त आयुक्त दिनेश देवरे, क्षेत्रीय उपायुक्त प्रकाश भादुले समेत संबंधित अधिकारी उपस्थित थे। मंत्री राणे ने ससून डॉक (मुंबई), करंजा (उरण – रायगढ़), आनंदवाड़ी (सिंधुदुर्ग) और मिरकरवाड़ा (रत्नागिरी) बंदरगाहों पर जारी विकास कार्यों की समीक्षा की। इन बंदरगाहों पर मछली नीलामी शेड, बर्फ निर्माण इकाई, कार्यशाला, मछली पकड़ने के जालों की मरम्मत व रखरखाव के शेड, शौचालय जैसी सुविधाओं का निर्माण किया जा रहा है। इन कार्यों के लिए सरकार द्वारा ससून डॉक में ₹92 करोड़, आनंदवाड़ी में ₹88.44 करोड़, मिरकरवाड़ा में ₹26.23 करोड़ और करंजा में ₹149.80 करोड़ की प्रशासकीय मंजूरी प्रदान की गई है। इसके साथ ही कोंकण क्षेत्र में सात स्थानों पर मछली लैंडिंग केंद्रों पर चल रहे कार्यों की भी समीक्षा की गई। बैठक में राज्य सरकार द्वारा अक्टूबर 2024 में घोषित महाराष्ट्र समुद्री मछुआरा कल्याण महामंडल और महाराष्ट्र भूजल मछुआरा कल्याण महामंडल की प्रगति की जानकारी भी दी गई। मंत्री राणे ने निर्देश दिया कि इन दोनों निगमों के कार्यों को शीघ्र शुरू करने के लिए मुंबई और नागपुर के कार्यालयों के मौजूदा ढांचे का उपयोग करते हुए आवश्यक कार्रवाई की जाए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बंदरगाहों के आधुनिकीकरण और मत्स्य आधारित ढांचागत विकास से न केवल मछुआरा समुदाय को लाभ होगा बल्कि कोंकण क्षेत्र के समग्र आर्थिक विकास को भी बल मिलेगा।