देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी जिन जवानों पर हैं वह अपना काम ईमानदारी व निष्ठा से करते हैं। लेकिन देश की आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी जिस पुलिसिया व्यवस्था पर हैं वह कितनी ईमानदारी से काम करती हैं यह तो देश का नागरिक जानता है! इसलिए तो आम आदमी पुलिस स्टेशन जाने से डरता हैं, जिसके पीछे पुलिसिया भ्रष्टाचार व गुंडागर्दी आम बात है। क्यों कि पुलिस की कार्यप्रणाली पर राजनीतिक व अपराधिक तंत्र सक्रिय हैं। ज्यादातर मामलों में देखा गया हैं कि पुलिस स्टेशन में गए शिकायत कर्त्ता को पुलिस अपराधी की नजर देखती है। कभी-कभी शिकायतकर्ता को ही अपराधी बना दिया जाता है। अक्सर यह भी देखा गया हैं। असामाजिक तत्वों द्वारा जब किसी नागरिक को क्षति पहुचती हैं तो पुलिस स्टेशन में शिकायत करने गए, नागरिक की शिकायत लेने के बजाएं पुलिस उस अपराधी को फोन कर बता देती हैं फिर क्या थोड़ी देर बाद अपराधी अपने ऊपर खुद हमला कर पुलिस स्टेशन आ जाता और फिर पुलिस शिकायतकर्ता को डरा देती हैं कि अब तुम्हारे ऊपर भी मामला दर्ज होगा। अगर शिकायतकर्ता अपराधी पर मामला दर्ज करने पर आड़ा रहा तो पुलिस मामले को कमजोर करते हुए क्रॉस केस दर्ज करती है। और शिकायतकर्ता को अपराधी बना दिया जाता है। यहीं नहीं अक्सर देखा गया कि पुलिस स्टेशन में अपराधियों का जन्मदिन भी मनाया जाता हैं उसकी आवभगत भी की जाती हैं। पुलिस चोरी के ७० प्रतिशत मामले को मिसिंग केस दिखाती हैं जिसके चलते चोरो के हौसले बुलंद हैं और आयेदिन चोरी की घटनाएं बढ़ रहीं हैं और पुलिस के गैरजिम्मेदाराना रवैये के चलते ज्यादातर मामले दर्ज कराने आम आदमी पुलिस स्टेशन जाता ही नहीं है। पुलिस विभाग में ३० प्रतिशत अधिकारी ईमानदार मिलेंगे, बाकीअपराधियों, नेताओं, ड्रग्स पेड़लर्स से याराना निभाने वाले हैं। जो देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा है। अगर आम आदमी ने जुगार माफिया, ड्रग्स माफिया के खिलाफ शिकायत किया तो उस माफिया पर कार्रवाई करने के बजाएं स्टेटमैंट लेने के नाम पर शिकायतकर्ता का मानसिक शोषण पुलिस स्टेशन में बैठा पुलिस निरीक्षक, उप पुलिस निरीक्षक करता है। और माफिया से कुछ लेदेकर मामले की शिकायत बंद करने की सलाह देते हैं। अगर शिकायतकर्ता ने उनकी बात नहीं मानी तो शिकायतकर्ता पर माफियाओं के साथ मिलकर खंडनी का मामला दर्ज करने से भी बाज नहीं आते। आम आदमी की एनसी दर्ज करने में घण्टो लगा देते है। झोपड़पट्टी इलाकों में ड्रग्स, जुगार का कारोबार फलफूल रहा है। जिसकी चपेट में गरीब परिवार के बच्चे आ रहे है। जिसका परिणाम यह हो रहा हैं कि ये बच्चे नशे की लत में आने के बाद अपराध को अंजाम देने का कार्य कर रहे है। ऐसा नहीं हैं पुलिस को कुछ पता नहीं, पुलिस स्टेशन में काम करने वाले क्राइम पीआई को सारी जानकारी होती हैं। अगर जानकारी नहीं हैं तो क्राइम पीआई किस काम का! पुलिसिया व्यवस्था में सुधार की सख्त जरूरत हैं। जिसपर गृहमंत्री अमित शाह व राज्यों के गृह मंत्रियों को गंभीरता से लेने की जरूरत हैं। देश बाहरी सुरक्षा के साथ आतंरिक सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत हैं और गृह विभाग को पुलिस की बदली प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने की जरूरत हैं! क्यों जो अधिकारी पैसे देकर आता हैं वह पैसे की रिकवरी करने के लिए पुलिस व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करता हैं! देश को आजाद हुए ७५ साल हो गए लेकिन आज भी कहीं न कहीं पुलिसिया व्यवस्था ब्रिटिश शासन की अन्याय पूर्ण भूमिका में काम कर रहीं हैं। समयानुसार इस व्यवस्था पर ध्यान देने की जरूरत हैं।