मुंबई। महाराष्ट्र में किसानों को खाद खरीदने के लिए जाति बताने की जरूरत पड़ रही है। इससे किसानों में खासी नाराजगी है। इस मुद्दे पर शुक्रवार को महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष आक्रामक हो गया। नेता प्रतिपक्ष अजित पवार ने कहा कि हममें से कई लोग किसान हैं। हमारी जाति किसानी है। कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि महाराष्ट्र एक प्रोग्रेसिव स्टेट है। यहां जाति-पाति दूर करने की कोशिश की जाती है, ये तो जातिवाद को बढ़ावा देने वाली बात हो गई। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और बीजेपी नेता और मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने इस पर सफाई दी। बीजेपी नेता सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि केंद्र सरकार की ऐसी कोई मंशा नहीं है कि किसानों के साथ जाति के आधार पर भेदभाव किया जाए। ऐसा नहीं है कि किसानों को सब्सिडी जाति पूछ कर दी जाती है। बाइस सौ रुपए का यूरिया किसानों को सव दो सौ रुपए में दिया जाता है। बाकी का खर्च सरकार वहन करती है। यह सब्सिडी किसानों की जाति जानकर नहीं दी जाती है। सॉफ्टवेयर में अगर कोई बदलाव की जरूरत है तो केंद्र को इसकी जानकारी दी जाएगी। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी सदन को आश्वस्त किया कि किसानों की नाराजगी और सदन का एतराज राज्य सरकार केंद्र को सूचित करेगी और सॉफ्टवेयर में जरूरी बदलाव किए जाने की मांग करेगी।
ई पॉज मशीन में जाति बताने पर ही सॉफ्टवेयर आगे बढ़ता है और खाद मिलता हैं
दरअसल ई पॉज मशीन के सॉफ्टवेयर में कुछ बदलाव किया गया है। जब किसान खाद लेने पहुंचते हैं तो उन्हें जो नई जानकारी देनी पड़ रही है, उसके तहत उनसे जाति पूछी जाती है। जाति ना बताने पर सॉफ्टवेयर आगे नहीं बढ़ता है। इसके किसानों को फर्टिलाइजर और यूरिया नहीं मिल पा रहा है। खाद बेचने वालों से जब किसान सवाल करते हैं तो उनका कहना है कि मशीन में नया अपडेट आया है। उन्हें इस बारे में और कुछ नहीं पता। इससे पहले किसानों को फर्टिलाइजर खरीदने के लिए नाम, मोबाइल नंबर, आधार कार्ड नंबर बताना पड़ता था। इसके बाद ई-पॉस मशीन पर अंगूठा लगातर खाद दिए जाते थे। लेकिन पिछले तीन दिनों से ई-पॉस मशीन में जो अपडेट्स हुए हैं, उसके तहत किसानों को अपनी जाति बतानी पड़ रही है। इस बारे में राज्य भर से प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।