Thursday, December 12, 2024
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‘बेईमानों पर थूकना हिंदू संस्कृति, मैं सावरकर का भक्त’, शिंदे गुट पर थूकने को लेकर संजय राउत का बेतुका डिफेंड !

नासिक। बेईमानों पर थूकना हिंदू संस्कृति है। बेईमानों पर तो स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर ने भी थूका था। मैंने जो यह हरकत की है, उस पर इतना हल्ला क्यों? ये बयान है शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत का, जिन्होंने अपनी दो दिनों में लगातार ऑन कैमरा शिंदे गुट के नेताओं के नाम सुनकर थूकने की हरकत पर यह बात कही है। दरअसल, संजय राउत आज यानि शनिवार (3 जून) को नासिक से त्र्यंबकेश्वर जाते समय मीडिया से बात कर रहे थे। संजय राउत की इस हरकत के विरोध में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना के नेताओं और कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी है। शिंदे सेना के कार्यकर्ता पूरे महाराष्ट्र में संजय राउत के खिलाफ ‘जूते मारो आंदोलन’ कर रहे हैं। उनकी तस्वीरों और पोस्टरों पर जूते-चप्पल बरसाए जा रहे हैं। कोई उन्हें जेल भेजने की मांग कर रहा है, तो कोई उन पर अट्रॉसिटी का मामला दर्ज करने की मांग कर रहा है। साथ ही कोई संजय राउत को माफी मांगने के लिए कह रहा है। तो कोई कह रहा है कि संजय राउत का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है। इस पर आज संजय राउत ने आज कहा है कि जूते तो जनता उन्हें मारेगी। बस गद्दारों को जूते मारने के लिए जनता को चुनाव होने की प्रतीक्षा है। उनके पास न काम है ना धंधा। लोकतंत्र में सबको अभिव्यक्ति की आज़ादी है। जो चाहें, उन्हें करने दीजिए। वैसे सही मायने में इन गद्दारों को जूते तो खुद पर मारने चाहिए। इन्होंने शिवशाही से गद्दारी की, शिवसेना से गद्दारी की। और ये गद्दार कल शिवाजी महाराज के राजतिलक का जश्न मना रहे थे। राउत ने कहा कि, गद्दारों पर तो वीर सावरकर ने भी थूका था और मैं उनका भक्त हूँ।अजित पवार की नसीहत की भी राउत ने की फजीहत
संजय राउत की थूकने की हरकत पर पत्रकारों ने एनसीपी नेता अजित पवार से प्रतिक्रिया मांगी थी। अजित पवार ने कहा था जो लोग सार्वजनिक जीवन जी रहे हैं उन सबको संयम बरतना चाहिए। इसके जवाब में संजय राउत ने कह दिया कि मैंने डैम में मूXX की तो बात नहीं की ना, थूकने की ही बात कही है। जिसकी जलती है, उसे पता चलता है।
याद दिला दें कि एनसीपी-कांग्रेस के कार्यकाल में जब महाराष्ट्र में सूखा पड़ा था तो अजित पवार का एक बयान विवादों के घेरे में आया था। उन्होंने कहा था कि बारिश नहीं हो रही है तो क्या करूं, लघुशंका करूं? (यहां लघुशंका शब्द काफी सुधारकर लिखा गया है) संजय राउत उसी बयान का हवाला दे रहे थे। इसके जवाब में फिर अजित पवार ने आज कहा कि संजय राउत क्या कहते हैं, क्या करते हैं, इससे उनके जिस्म में कोई सूई नहीं चुभती है, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है। इस पर वे बयान देना नहीं चाहते।

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