
मुंबई। ठाणे में हुए लोकल ट्रेन हादसे में चार यात्रियों की मौत की पुष्टि के बाद राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया है। जहां विपक्ष ने केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और सत्तारूढ़ दल को कटघरे में खड़ा किया है, वहीं महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने भी इस दुखद घटना को लेकर गंभीर सवाल उठाते हुए सरकार की योजनाओं पर कड़ी आलोचना की।
“हर दिन हो रही हैं ऐसी घटनाएं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं”
संवाददाताओं से बातचीत में राज ठाकरे ने कहा, “ठाणे में जो रेल दुर्घटना हुई, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। लेकिन इससे भी ज्यादा अफसोसनाक यह है कि ऐसी घटनाएं रोज होती हैं, और किसी को फर्क नहीं पड़ता। कई लोग घायल होते हैं, मरते हैं, लेकिन सरकारें आंखें मूंदे बैठी हैं।
रेलवे के लिए अलग निगम की मांग फिर दोहराई
राज ठाकरे ने कहा कि मुंबई रेलवे की भयावह स्थिति को देखते हुए पिछले कई वर्षों से अलग रेलवे निगम की मांग की जा रही है। “हमने भी यह मांग की थी, लेकिन आज तक किसी सरकार ने इस पर अमल नहीं किया,” उन्होंने कहा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मुंबई जैसे महानगर की रेलवे को अलग और विशेष ध्यान दिए बिना यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकती।
शहरी योजना और ट्रैफिक व्यवस्था पर भी सवाल
राज ठाकरे ने शहरी विकास की दिशा पर भी सवाल उठाते हुए कहा, “शहरों में भीड़ बढ़ रही है। ऊंची इमारतों की मंजूरी दी जा रही है, मेट्रो और फ्लाईओवर बन रहे हैं, लेकिन पार्किंग और ट्रैफिक प्लानिंग का कोई अता-पता नहीं है।” उन्होंने कहा कि सरकारों का सारा ध्यान चुनाव प्रचार और गठबंधन की राजनीति पर केंद्रित है, लेकिन आम नागरिकों की सुरक्षा, यात्रा की सुविधा और जीवन की गुणवत्ता पर नहीं। राज ठाकरे ने मीडिया और नागरिक समाज से भी आह्वान करते हुए कहा, “हर कोई पूछ रहा है कि मैं उद्धव ठाकरे से गठबंधन करूंगा या नहीं। लेकिन इससे कहीं ज्यादा जरूरी सवाल है कि मुंबई में यात्रा करना कितना खतरनाक हो गया है। क्या मीडिया इन असली मुद्दों को उठाएगा? क्या सरकार से जवाब मांगेगा?
विदेश यात्रा करने वाले मंत्री कुछ क्यों नहीं सीखते?
राज ठाकरे ने नेताओं पर तंज कसते हुए कहा कि जो सांसद, विधायक और मंत्री विदेश यात्राएं करते हैं, वे कभी यह नहीं सोचते कि वहां से सार्वजनिक परिवहन और यात्री सुरक्षा के मामले में कुछ सीखा जाए। उन्होंने कहा, अगर ऐसी घटना विदेश में होती, तो वहां की सरकार कैसे जवाबदेह होती, इसकी तुलना कभी नहीं की जाती। यहां तो इंसान की जान की कोई कीमत ही नहीं रह गई है।