
पुणे:(Pune) रायगढ़ के इरशालवाड़ी गांव में हृदय विदारक घटना के बाद अब उस क्षेत्र में सन्नाटा सा छाया हुआ है। जिधर भी देखें उधर करुण क्रंदन ही सुनाई दे रहा है। अपनों को खो देने का दुख पहाड़ से भी ऊंचा होता है और परिजनों की आंखें रो-रोकर सूख चुकी हैं। हालांकि, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और अन्य एजेंसियों ने रविवार शाम को रेस्क्यू ऑपरेशन फिलहाल रोक दिया है, लेकिन अभी भी मलबे के नीचे लोगों के दबे होने की बात सुनी जा रही है।
पहाड़ी के खिसकने से बर्बाद हुए इस गांव में करीब 85 घंटे से ज्यादा समय तक रेस्क्यू चला। मंत्री उदय सामंत ने बताया कि बचाव कार्य के दौरान 4 दिनों तक वे यहीं जमे रहे। बताया गया कि गांव में लोगों की संख्या 230 थी, अब तक 27 शवों को पहाड़ी के मलबे के नीचे से निकालने के साथ ही डेढ़ सौ लोगों को सुरक्षित बचाया भी गया है। इन सभी लोगों को शहर एवं औद्योगिक विकास निगम की तरफ से अब घर बना कर दिए जाएंगे।
बाइस बच्चे हुए अनाथ
जिम्मेदार अधिकारियों को अब भी आशंका है कि पहाड़ी के मलबे के अंदर 55 से 60 लोग दबे हुए हैं। फिलहाल रेस्क्यू ऑपरेशन रोके जाने से पहले गुमशुदा लोगों के परिजनों को विश्वास में लिया गया है। मंत्री उदय सामंत का मानना है कि इस गांव जैसी भविष्य में दोबारा घटना और कहीं ना हो, उसके लिए कदम उठाए जाएंगे। ऐसी स्थिति वाले पांच गांवों को दोबारा बसाया जाएगा। साथ ही एक साल के भीतर भूस्खलन प्रभावित लोगों को पक्का मकान बनवा कर दिया जाएगा। वे बताते हैं कि इस भूस्खलन की घटना से 22 बच्चे भी अनाथ हुए हैं। इन सभी बच्चों की देखरेख श्रीकांत शिंदे फाउंडेशन देखरेख करेगा।