मनोज जरांगे ने पानी-दवा छोड़ने का किया ऐलान
जालना। मराठा आरक्षण को लेकर इस समय महाराष्ट्र में माहौल काफी गर्म है। मराठा आरक्षण की मांग को लेकर 13 दिनों से मनोज जरांगे भूख हड़ताल पर बैठे है। जरांगे आरक्षण की मांग को लेकर से भूख हड़ताल पर हैं। खबर है कि सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए जरांगे ने आज से पानी और दवा भी बंद कर दी है। इसलिए मराठा आंदोलन के और सुलगने के संकेत मिल रहे है। दूसरी ओर, ओबीसी समुदाय ने मराठा समुदाय को ओबीसी के कोटे में आरक्षण देने का विरोध किया है। मराठा समुदाय कुनबी होने का प्रमाणपत्र चाहता है। इसके लिए मनोज जरांगे पाटिल जालना में 29 अगस्त से अनशन पर बैठे है। हालाँकि महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने साफ कहा है कि उनकी सरकार मराठा आरक्षण के पक्ष में है। इसके तहत राज्य सरकार ने मराठा समुदाय के उन लोगों को ‘कुनबी’ प्रमाणपत्र देने का निर्णय लिया है, जिनके पास निज़ाम काल के दस्तावेज़ हैं। हालाँकि मनोज जरांगे ने सरकार के इस फैसले को खारिज करते हुए पूरे मराठा समुदाय को बिना शर्त आरक्षण देने की मांग की है। जरांगे का कहना है कि मराठा का मतलब ही कुनबी है। कुनबी को महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) माना जाता है और नौकरी-शिक्षा में आरक्षण मिलता है।
ओबीसी समुदाय ने दी सरकार को चेतावनी
उधर, ओबीसी समुदाय ने चेतावनी दी है कि मराठा समुदाय को कुनबी होने का प्रमाणपत्र न दिया जाए, अन्यथा वे तीव्र आंदोलन करेंगे। मराठा समुदाय को ओबीसी कोटे में आरक्षण देने के विरोध में ओबीसी समुदाय आज पूरे राज्य में सड़कों पर उतरने वाला है। दिलचस्प बात यह है कि इस प्रदर्शन में बीजेपी नेता भी हिस्सा लेने वाले हैं। इस आंदोलन में कांग्रेस नेता भी शामिल होंगे। इसलिए आरक्षण का मुद्दा सभी राजनीतिक दलों के लिए सिरदर्द बनता नजर आ रहा है।
बीजेपी के ओबीसी सेल के नेता आशीष देशमुख ने ओबीसी आंदोलन को समर्थन किया है। आज हम ओबीसी के आंदोलन में हिस्सा ले रहे हैं। बीजेपी नेता ने कहा, मराठा समाज आर्थिक रूप से पिछड़ा नहीं है, इसलिए मराठों को पिछड़े ओबीसी कोटे से आरक्षण की मांग नहीं करनी चाहिए। मराठा समाज को ओबीसी से आधा प्रतिशत भी आरक्षण न दिया जाए, अन्यथा राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा।
मनोज जरांगे की सेहत बिगड़ी!
मालूम हो कि मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मनोज जरांगे 13 दिनों से जालना जिले के अंबड तालुका के अंतरवाली सराटी गांव में भूख हड़ताल पर बैठे हैं। इतने दिनों से मनोज जरांगे के पेट में अन्न का एक दाना भी नहीं गया है। इस वजह से वह बहुत कमजोर हो गए है और उनका बीपी सामान्य नहीं है। पानी की कमी से उनकी किडनी पर भी बुरा असर पड़ रहा है। डॉक्टर लगातार उनकी निगरानी कर रहे हैं। बताया जाता है कि मराठवाडा में निज़ाम के शासन काल के दौरान मराठा समुदाय को मराठा कुनबी या कुनबी मराठा के रूप में दर्ज किया गया है। इसलिए जरांगे की मांग है कि सभी मराठों को कुनबी प्रमाणपत्र दिया जाना चाहिए। महाराष्ट्र के मराठवाडा क्षेत्र में 8550 गांव आते हैं। मराठवाडा के अब तक आठ जिलों के लगभग 80 गांवों में मराठों के कुनबी होने के प्रमाण मिल चुके हैं।मनोज जरांगे