
मुंबई। परेल स्थित बीएमसी संचालित केईएम अस्पताल ने सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में हलफनामा पेश करते हुए 26 मई को भारी बारिश के दौरान अस्पताल के गलियारों में जलभराव की मीडिया रिपोर्टों को “पूरी तरह भ्रामक” करार दिया है। अस्पताल की डीन संगीता रावत द्वारा प्रस्तुत हलफनामे में दावा किया गया कि केवल बारिश का पानी सीमित क्षेत्र में जमा हुआ था और वह भी जल्दी निकल गया, जिससे अस्पताल की सामान्य सेवाएं बाधित नहीं हुईं। गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने मीडिया में आई उन रिपोर्टों और वीडियो पर चिंता जताई थी, जिनमें मरीजों को टखनों तक पानी में बैठे हुए दिखाया गया था। इसके बाद कोर्ट ने बीएमसी को तत्काल निरीक्षण कर उपचारात्मक कदम सुझाने का आदेश दिया था। केईएम प्रशासन ने कहा कि घटना के दिन अस्पताल के रेडियोलॉजी, एमआरआई, एक्स-रे जैसे सभी प्रमुख विभाग पूरी तरह सक्रिय रहे और कुल 19 एमआरआई, 120 सीटी स्कैन व 270 एक्स-रे किए गए। हलफनामे में यह भी कहा गया कि जलभराव सिर्फ खुले गलियारे तक सीमित था, न कि मरीजों के उपचार या प्रतीक्षा क्षेत्रों में।
अस्पताल ने स्पष्टीकरण दिया कि भारी बारिश और तेज हवाओं के कारण जलग्रहण क्षेत्र में स्थित अस्पताल के खुले गलियारे में पानी घुसा, लेकिन बारिश थमते ही अतिरिक्त सक्शन पंपों की मदद से वह पानी तुरंत निकाल दिया गया। भविष्य में ऐसी स्थितियों से बचने के लिए अस्पताल प्रशासन ने उस मार्ग की पूरी लंबाई में अस्थायी शेड लगाने और जलनिकासी व्यवस्था को दुरुस्त करने जैसे अल्पकालिक उपाय लागू किए हैं। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की पीठ ने अस्पताल के जवाब पर संज्ञान लेते हुए यह जानना चाहा कि ये अल्पकालिक उपाय कब तक पूरी तरह लागू होंगे। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद तय की है।