जालना। मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने बुधवार को आरक्षण के मुद्दे पर अपना अनिश्चितकालीन अनशन स्थगित कर दिया। वह पिछले पांच दिनों से अनशन कर रहे थे। जरांगे ने कहा कि उनके समुदाय के सदस्यों का कहना है कि इस मुद्दे पर लड़ाई लड़ने के लिए वह चाहते हैं कि जरांगे जिंदा रहें। उन्होंने महाराष्ट्र के जालना जिले में अपने पैतृक गांव अंतरवाली सरती में पत्रकारों से बात करते हुए अपने फैसले की घोषणा की। जरांगे ने कुनबियों को मराठा समुदाय के सदस्यों के ‘सगे सोयरे’ (रक्त संबंधी) के तौर पर मान्यता देने वाली मसौदा अधिसूचना को लागू करने और मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत आरक्षण देने जैसी मांगों को लेकर 20 जुलाई से अपना अनशन शुरू किया था। सुबह पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मेरे समुदाय का कहना है कि वे मुझे जीवित देखना चाहते हैं। समुदाय की ओर से जबरदस्त दबाव है। अगर मैं मर गया तो इससे समुदाय के भीतर विभाजन हो जाएगा। इसलिए मैंने अपना अनशन स्थगित करने का फैसला किया है। जरांगे ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधान परिषद सदस्य प्रवीण दरेकर और महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि वे मराठा समुदाय के लिए आरक्षण के विरोधी हैं।उन्होंने मराठा समुदाय के लोगों से भाजपा को हराने की अपील भी की।
जरांगे ने उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता देवेंद्र फड़नवीस पर उन्हें झूठे मामले में फंसाने की कोशिश करने का आरोप लगाया। छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित मराठी नाटक ‘शंभूराजे’ के निर्माता-निर्देशक धनंजय घोरपड़े ने आरोप लगाया है कि जरांगे और उनके सहयोगी जालना में नाटक के छह शो आयोजित करने के बाद 13.21 लाख रुपये का भुगतान करने में विफल रहे। जरांगे ने कहा कि वह संभाजी महाराज के जीवन को लोगों के सामने पेश करने के लिए जेल जाने को तैयार हैं। जरांगे ने सात से 13 अगस्त के बीच विभिन्न जिलों में मराठा समुदाय की बैठकें आयोजित करने की घोषणा की। इसके बाद 29 अगस्त को एक महत्वपूर्ण बैठक में आगे की रणनीति तय की जाएगी।