
पुणे। किसानों को उनकी उपज का उचित बाजार मूल्य मिले और उनकी आमदनी बढ़े, इसके लिए महाराष्ट्र सरकार ने “मातोश्री बाळासाहेब ठाकरे कृषि व्यवसाय और ग्रामीण परिवर्तन (स्मार्ट) परियोजना” के अंतर्गत पुणे में हेजिंग डेस्क की स्थापना की है। पहले चरण में यह डेस्क कपास, हल्दी और मक्का जैसी प्रमुख फसलों पर केंद्रित रहेगा और भविष्य में अन्य फसलों को भी इसके दायरे में लाया जाएगा। यह पहल एनसीडीईएक्स (राष्ट्रीय वस्तु एवं डेरिवेटिव्स विनिमय) और उसकी अनुसंधान संस्था NICR के सहयोग से शुरू की गई है, जिसका उद्देश्य किसानों को कीमतों में उतार-चढ़ाव से होने वाले संभावित नुकसान से सुरक्षा प्रदान करना है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसे कृषि क्षेत्र में बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम करार दिया है। हेजिंग का मतलब जोखिम से सुरक्षा है।जैसे खेत की बाड़ फसल की रक्षा करती है, वैसे ही हेजिंग किसानों को बाजार की अनिश्चितताओं से बचाती है। ऑप्शन ट्रेडिंग की मदद से किसान अपनी फसल की न्यूनतम बिक्री कीमत पहले से तय कर सकते हैं, जिससे कीमत गिरने पर भी नुकसान नहीं होता। हेजिंग डेस्क किसानों और एफपीओ (किसान उत्पादक संगठनों) को बाजार जोखिम प्रबंधन, कमोडिटी डेरिवेटिव्स और रियल-टाइम मार्केट इंटेलिजेंस की जानकारी देगा। अब तक 3000 से अधिक किसानों को इस संबंध में प्रशिक्षण देने की योजना है। साथ ही जोखिम विश्लेषण के लिए एक विशेष कक्ष, कृषि भंडारण केंद्रों को बढ़ावा और कमोडिटी बाजार में एफपीओ को पंजीकृत कर सौदे कराने की तैयारी भी की गई है। 8 अप्रैल 2025 को एनसीडीईएक्स और स्मार्ट परियोजना के बीच हेजिंग डेस्क की स्थापना को लेकर समझौता हुआ। इसका फोकस महाराष्ट्र के कपास, मक्का और हल्दी उत्पादक जिलों— जैसे हिंगोली, वाशिम, सांगली, यवतमाल, अकोला, नांदेड, अमरावती, छत्रपती संभाजीनगर और बीड पर रहेगा। कार्यालय पुणे में स्थित है और कार्य शुरू हो चुका है। हेजिंग और ऑप्शन ट्रेडिंग के ज़रिए किसानों को पहले से तय कीमत पर फसल बेचने का विकल्प मिलेगा। इससे उन्हें बाजार की गिरावट से नुकसान नहीं होगा और न्यूनतम आमदनी सुनिश्चित होगी, जिससे वे खेती में ज्यादा निवेश कर सकेंगे और वित्तीय स्थिरता हासिल कर पाएंगे। यह पहल किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त करने की दिशा में एक ठोस प्रयास है।