Friday, July 11, 2025
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बागी शिवसेना विधायकों की अयोग्यता पर 1 हफ्ते में सुनवाई, एससी ने महाराष्ट्र स्पीकर को दिया निर्देश

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश दिया कि वह बागी शिवसेना विधायकों की कई लंबित अयोग्यता याचिकाओं को एक सप्ताह के भीतर निपटाने के लिए प्रक्रियात्मक निर्देश और समयसीमा जारी करें। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि इस संबंध में मई से लंबित कार्यवाही अनिश्चित काल तक जारी नहीं रह सकती। पीठ ने निर्देश दिया कि इस न्यायालय के आदेश के अनुसार अध्यक्ष को उचित समय के भीतर कार्यवाही पर निर्णय लेना आवश्यक है। हम संवैधानिक शक्ति का प्रयोग कर जारी किये गये निर्देशों के प्रति आदर एवं सम्मान की अपेक्षा करते हैं। अब हम निर्देश देते हैं कि समय-सीमा निर्धारित करने वाले प्रक्रियात्मक निर्देश एक सप्ताह के भीतर अध्यक्ष द्वारा जारी किए जाएंगे।कार्यवाही पूर्ण करने हेतु। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता अदालत को सूचित करेंगे कि कार्यवाही के निपटान के लिए क्या समयसीमा तय की जा रही है। अदालत शिवसेना पार्टी के दो गुटों के महाराष्ट्र विधान सभा सदस्यों (विधायकों) के खिलाफ लंबित अयोग्यता याचिकाओं पर शीघ्र निर्णय लेने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसी साल जुलाई में कोर्ट ने इस मामले में महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर से जवाब मांगा था। पार्टी के उद्धव ठाकरे गुट के विधायक सुनील प्रभु की याचिका राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता अजीत पवार और प्रफुल्ल पटेल और छगन भुजबल सहित आठ विधायकों के एकनाथ शिंदे गुट में शामिल होने के तुरंत बाद दायर की गई थी। उन्होंने कहा कि प्रभु ने अपनी याचिका में इस बात पर प्रकाश डाला है कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने इस साल 11 मई को स्पीकर को लंबित अयोग्यता याचिकाओं पर उचित अवधि के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया था। हालांकि अभी तक ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया है। याचिका के मुताबिक, स्पीकर को निष्पक्षता की संवैधानिक आवश्यकता के अनुसार अयोग्यता के सवाल पर शीघ्र निर्णय लेना होगा। प्रभु ने आगे तर्क दिया कि अयोग्यता कार्यवाही पर निर्णय लेने में स्पीकर की निष्क्रियता गंभीर संवैधानिक अनुचितता का कार्य है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने आज कहा कि स्पीकर को उनके समक्ष लंबित अयोग्यता याचिकाओं का निपटारा करना होगा।

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