
रक्षाबंधन हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष पूर्णिमा दो दिन तक रहेगी। हिंदू पंचांग के आधार पर इस बार पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त बुधवार की शाम को शुरू होकर अगले दिवस 31 अगस्त तक रहेगी। इसकी वजह से इस बार रक्षाबंधन पर्व दो दिवसों तक मनाया जा सकेगा। रक्षाबंधन पर्व पर शुभ मुहूर्त देखकर ही भाई की कलाई पर राखी बांधी जाती है। साथ ही इस पर्व पर राजस्थानी और मारवाड़ी समुदायों में अपने भाई की पत्नी की चूड़ी पर ’लुंबा राखी’ बांधने की प्रथा भी प्रचलित है। इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा भी रहेगी ऐसे में शुभ मुहूर्त में राखी बांधना और भी जरूरी हो जाता है।
यह है भद्रा काल
मान्यता के अनुसार भद्रा शनि देव की बहन का नाम है। जो भगवान सूर्य और माता छाया की संतान हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भद्रा का जन्म दैत्यों के विनाश के लिए हुआ था। ऐसा माना जाता है रावण को उसकी बहन ने भद्रा काल में राखी बांधी थी, जिसकी वजह से रावण का अंत भगवान राम के हाथों हुआ। इसीलिए किसी भी शुभ काम को करते समय इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए कि भद्रा काल ना चल रहा हो।
रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त
शास्त्रों के अनुसार रक्षाबंधन के दिन दोपहर में राखी बांधना सबसे शुभ माना जाता है लेकिन, इस साल 30 अगस्त को सुबह से रात तक भद्रा रहेगी। ऐसे में जो लोग रात को राखी बांधना चाहते हैं वह रात 9:3 बजे के बाद रक्षाबंधन का पर्व मना सकते हैं। वहीं जिन घरों में रात को राखी का त्योहार नहीं मनाया जाता है वह लोग 31 अगस्त को सुबह 7:05 बजे से पहले राखी बांध सकते हैं। क्योंकि इसके बाद भाद्रपद की प्रतिपदा तिथि लग जाएगी। अमृत काल मुहूर्त सुबह 5:42 बजे से सुबह 7:23 तक है। इस दिन सुबह में सुकर्मा योग भी होगा, साथ ही भद्रा की बाधा भी नहीं रहेगी।
रक्षाबंधन पर भद्रा कब तक है ?
हिंदू पंचांग के अनुसार 30 अगस्त को सुबह 10 बजकर 58 मिनट से भद्रा लग जाएगी। यह रात को 09 बजकर 01 मिनट तक रहेगी। इस दिन भद्रा का वास पृथ्वी पर है, जो की अशुभ है। अत: इस दौरान राखी नहीं बांधी जा सकती। रक्षाबंधन भद्रा पूंछ 30 अगस्त की शाम साढ़े पांच बजे से 6 बजकर 31 मिनट तक। रक्षाबंधन भद्रा मुख 30 अगस्त शाम 6:31 बजे से रात 8:11 बजे तक। रक्षाबंधन भद्रा समाप्ति समय 30 अगस्त की रात 9 बजकर 3 मिनट पर।