
लखीराम ऑडिटोरियम में देशभर के कलाकारों ने शास्त्रीय संगीत का दिया अनुपम प्रदर्शन
सुनील चिंचोलकर
बिलासपुर, छत्तीसगढ़। भातखंडे संगीत महाविद्यालय की 75वीं हीरक जयंती के उपलक्ष्य में लखीराम ऑडिटोरियम में तीन दिवसीय भव्य संगीतमय उत्सव का आयोजन किया गया, जिसमें देशभर से आए शास्त्रीय संगीत के दिग्गज कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया
भव्य आरंभ व मनमोहक प्रस्तुतियाँ
समारोह का शुभारंभ इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. (डॉ.) लवली शर्मा द्वारा किया गया। इस अवसर पर विधायक अटल श्रीवास्तव (कोटा) एवं महाविद्यालय के अध्यक्ष सुशील पटेरिया बेडारे उपस्थित रहे। पहले दिन अथर्व भालेराव (नागपुर) एवं अनिल देशपांडे ने गायन व तबला वादन की प्रस्तुतियाँ दीं। स्थानीय कलाकार राजेश मोडेकर (तबला) व निलय साठवी (हारमोनियम) ने संगत कर कार्यक्रम को और विशेष बना दिया।
उत्कृष्ट गायन से श्रोताओं ने बाँधी सराहना
दूसरे दिन के मुख्य अतिथि अमर अग्रवाल (विधायक, बिलासपुर), व्ही. के. सारस्वत (कुलपति, सुंदरलाल मुक्त विश्वविद्यालय) व महापौर पूजा विधानी रही। इस दिन अत्रि कोटल ने अपने सधे हुए और अभिव्यक्तिपूर्ण गायन से श्रोताओं का मन जीत लिया। संगत में निलय साळवी (हारमोनियम) तथा देवेंद्र श्रीवास (तबला, मुंबई) शामिल थे।
समापन दिवस : सुरों की छटा से निखरा अंतिम दिन
अंतिम दिवस के मुख्य अतिथि प्रो.ए.डी.एन.वाजपेयी (कुलपति, बिलासपुर विश्वविद्यालय), डॉ. प्रदीप कुमार (कुलपति, सी.व्ही. रामन विश्वविद्यालय) तथा सुप्रसिद्ध गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. देवेंद्र सिंह रहे। इस दिन मुंबई निवासी, मूलतः बिलासपुर के युवा कलाकार यशवंत वैष्णव ने अपने अद्भुत तबला वादन से सभी को प्रभावित किया। मुंबई के आदित्य मोडक ने शास्त्रीय गायन की मनभावन प्रस्तुति दी। उत्सव में स्पिक मैके के राज्य कोऑर्डिनेटर अजय श्रीवास्तव, सचिव विप्लव चक्रवर्ती, महाविद्यालय के शिक्षक–विद्यार्थी तथा बड़ी संख्या में संगीतप्रेमी नागरिकों ने उपस्थित होकर कार्यक्रम को सफल बनाया।
75 वर्ष पुरानी संगीत परंपरा
भातखंडे संगीत महाविद्यालय की स्थापना वसंत पंचमी 1950 को इन्दु चक्रवर्ती और स्व. सुधांशु शेखर चक्रवर्ती द्वारा की गई थी। प्रारंभिक परीक्षाएँ लखनऊ संगीत विद्यापीठ से संचालित होती थीं। वर्ष 1955–56 में महाविद्यालय को इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ से मान्यता मिली, जिसके बाद स्नातक, स्नातकोत्तर एवं डिप्लोमा परीक्षाएँ निरंतर इसी विश्वविद्यालय से सम्पन्न होती रही हैं। अब तक लगभग 5000 विद्यार्थी इस संस्थान से लाभान्वित हो चुके हैं। विभिन्न क्षेत्रों में नाम रोशन करने वाले पूर्व छात्र- अर्णव चटर्जी- छत्तीसगढ़ी फिल्मों में संगीत निर्देशन, श्री गणेश- फिल्म निर्देशन एवं संगीत संयोजन, आदित्य चक्रवर्ती- बॉलीवुड फिल्मों (जैसे ‘बोल बच्चन’) में संगीत योगदान।
महाविद्यालय की प्रमुख गतिविधियाँ एवं उपलब्धियाँ
महाविद्यालय में गुरु पूर्णिमा, विष्णु दवे पुण्यतिथि, वसंत पंचमी सहित अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा है। वर्ष 2000 में राज्य की पहली सारेगमपा प्रतियोगिता का आयोजन, 240 अनुभवी प्राध्यापकों की सेवाएँ, स्वर्ण जयंती समारोह, भरथरी लोक विधा पर राष्ट्रीय संगोष्ठी, 2009 में हरेली व होली पर नाट्य मंचन तथा पाश्चात्य नृत्यशैली पर वृहद कार्यशाला जैसी उपलब्धियाँ संस्थान की गौरवशाली यात्रा को दर्शाती हैं।
प्रतिष्ठित प्राविण्य सूची में शामिल विद्यार्थी
राहुल बरेठ, अमोल अरविंद फड़के, रत्नेश कुमार सूर्यवंशी, सुमित गुप्ता, दीप्ती कर्णेवार, आरती झा, ऋजुता जीवन गोरे, हर्षिता, श्वेता दांडेकर, अभिषेक कन्नौजिया, एम.एन. विग्नेश कुमार, श्रेया द्विवेदी, प्रियंका तिवारी सहित कई विद्यार्थियों ने प्राविण्य सूची में स्थान प्राप्त कर महाविद्यालय का गौरव बढ़ाया है।




