
नासिक। नासिक में उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) को पिछले कुछ दिनों से गंभीर राजनीतिक झटकों का सामना करना पड़ रहा है। कई वरिष्ठ नेता और नगरसेवक पार्टी छोड़कर प्रतिद्वंद्वी खेमों में शामिल हो रहे हैं, जिससे आगामी नासिक नगर निगम चुनाव से पहले ठाकरे गुट की संगठनात्मक पकड़ कमजोर होती नजर आ रही है। दो सप्ताह पूर्व पूर्व विधायक निर्मला गावित और नरेंद्र दराडे ने शिवसेना (यूबीटी) छोड़कर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में प्रवेश किया था। अब मंगलवार को पार्टी को एक और बड़ा झटका लगा जब ठाकरे गुट के चार पूर्व नगरसेवक — किरण दराडे, सीमा निगल, पुंडलिक अरिंगले और पुंजाराम गमने- उपमुख्यमंत्री शिंदे की उपस्थिति में उनके खेमे में शामिल हो गए। इनके साथ ही ठाकरे के पूर्व महानगर प्रमुख सुधाकर बडगुजर और पूर्व मंत्री बबनराव घोलप सहित 15 अन्य पूर्व नगरसेवक भी भाजपा में शामिल हो गए। यह सामूहिक दलबदल शिंदे गुट की ताकत को नासिक में निर्णायक रूप से बढ़ाता है। अब तक कुल 20 पूर्व पार्षद शिंदे खेमे में शामिल हो चुके हैं और राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि यह सिलसिला अभी जारी रह सकता है। आने वाले हफ्तों में ठाकरे गुट के और पार्षदों के पाला बदलने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। शिंदे गुट में शामिल हुए पूर्व पार्षदों ने विश्वास जताया है कि वे आगामी नगर निगम चुनावों में आसानी से जीत दर्ज करेंगे। लगातार हो रहे इस दलबदल ने नासिक में ठाकरे गुट के भीतर चिंता की लहर पैदा कर दी है। न केवल निर्वाचित जनप्रतिनिधि बल्कि स्थानीय स्तर पर सक्रिय पार्टी पदाधिकारी और जमीनी कार्यकर्ता भी अब सत्तारूढ़ शिंदे-भाजपा गठबंधन की ओर आकर्षित हो रहे हैं। नासिक नगर निगम पर कब्जा पाने की होड़ में चल रहे ये राजनीतिक घटनाक्रम अत्यंत महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। यह निगम चुनाव सभी प्रमुख दलों के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक पुरस्कार बन चुका है। ऐसे में शिवसेना (यूबीटी) के लिए यह जरूरी हो गया है कि वह नासिक में अपनी साख को बचाने और संगठन को एकजुट रखने की रणनीति तत्काल बनाए।