
मुंबई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता नाना पटोले ने भारत द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकवादी ठिकानों पर की गई हालिया सैन्य कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर दिए गए बयान से राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। पटोले ने ऑपरेशन की तुलना “बच्चों के वीडियो गेम” से करते हुए उसे “अमेरिका निर्देशित नाटक” बताया, जिससे भाजपा ने तीखी आपत्ति जताई है। एक प्रेस वार्ता में नाना पटोले ने दावा किया कि ऑपरेशन सिंदूर को अमेरिका के हस्तक्षेप पर रोका गया था। उन्होंने कहा, “पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई बार कहा था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान दोनों पर व्यापार बंद करने की धमकी दी थी, जिससे वे युद्धविराम के लिए मजबूर हुए। इसका मतलब है कि यह सब एक वीडियो गेम जैसा था, जैसे बच्चे कंप्यूटर पर खेलते हैं। पटोले ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए यह भी पूछा कि उन्होंने पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी, जिसमें 26 तीर्थयात्रियों की मौत हुई थी। उन्होंने कहा, पहलगाम में हमारी 26 बहनों का सिंदूर मिटा दिया गया… फिर भी आतंकवादी खुलेआम घूम रहे हैं। प्रधानमंत्री ने उनके बारे में क्यों नहीं बोला? पटोले के इन बयानों पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने इसे सशस्त्र बलों का अपमान और “गैर-जिम्मेदार राजनीति” का उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर को “वीडियो गेम” बताकर कांग्रेस ने एक बार फिर भारतीय सेना के साहस और बलिदान का अपमान किया है। बावनकुले ने सोशल मीडिया पर कहा, कांग्रेस का हाथ पाकिस्तान के साथ है, यह फिर से साबित हो गया है। ऑपरेशन सिंदूर कोई नाटक नहीं था, बल्कि यह सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत की निर्णायक और साहसिक कार्रवाई थी। पटोले की टिप्पणी न केवल अपमानजनक है, बल्कि शहीदों के परिवारों के लिए भी गहरा आघात है। भाजपा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी पहले भी सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक जैसे सैन्य अभियानों को लेकर सवाल खड़े करती रही है और अब “खेल” कहकर सैनिकों के पराक्रम को कमतर आंक रही है।
यह विवाद ऐसे समय सामने आया है जब देश में आतंकवाद के मुद्दे पर जन भावना संवेदनशील है और सरकार के सैन्य रुख को लेकर तीव्र जनसमर्थन बना हुआ है। अब देखना यह होगा कि कांग्रेस पार्टी इस बयान से कैसे निपटती है और क्या नाना पटोले अपने शब्दों पर कायम रहते हैं या स्पष्टीकरण देते हैं।