
पुणे। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घोषणा की है कि राज्य के सभी शासकीय कार्यालयों में दिसंबर 2025 तक सौर ऊर्जा का उपयोग अनिवार्य रूप से शुरू किया जाएगा और प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना को प्रभावी रूप से लागू किया जाएगा। यह ऐलान उन्होंने महाऊर्जा (महाराष्ट्र ऊर्जा विकास अभिकरण) की नई प्रशासनिक इमारत के उद्घाटन समारोह में किया। कार्यक्रम में विधान परिषद की उपसभापति डॉ. नीलम गोऱ्हे, विधानसभा के उपाध्यक्ष अण्णा बनसोडे, अपारंपरिक ऊर्जा मंत्री अतुल सावे सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री ने कहा कि महाऊर्जा के सामने दो मुख्य लक्ष्य हैं—पहला, सभी सरकारी कार्यालयों को सौर ऊर्जा से जोड़ना और दूसरा, प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना के तहत राज्य स्तर पर ऐसे उपभोक्ताओं को जोड़ना जो 100 से 300 यूनिट तक बिजली का उपभोग करते हैं। इस योजना का उद्देश्य 300 यूनिट तक उपभोग करने वाले उपभोक्ताओं का बिजली बिल शून्य करना है। उन्होंने महाऊर्जा पर विश्वास जताया कि वह इन लक्ष्यों को समयबद्ध तरीके से हासिल करेगी। उन्होंने यह भी बताया कि औंध स्थित महाऊर्जा की नई इमारत पूरी तरह हरित मानकों के अनुसार बनी है, जो अपनी ऊर्जा स्वयं उत्पन्न करती है और ऊर्जा बचत के अनेक उपायों से सुसज्जित है। मुख्यमंत्री ने बताया कि महाराष्ट्र ने देशभर में अपारंपरिक ऊर्जा के क्षेत्र में सबसे तेज प्रगति की है। जहां देश में दो वर्षों में 4 लाख सौर कृषि पंप लगे, वहीं अकेले महाराष्ट्र में 5 लाख से अधिक पंप स्थापित हुए हैं। सौर कृषि वाहिनी के अंतर्गत 2026 तक 16,000 मेगावॉट क्षमता के फीडरों को सौर ऊर्जा में बदला जाएगा, जिसे एशिया का सबसे बड़ा विकेंद्रित सौर ऊर्जा प्रकल्प कहा गया है। मुख्यमंत्री ने बिजली दरों को लेकर भी बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि जहां बीते 20 वर्षों में बिजली की दरें हर साल 9 प्रतिशत की औसत दर से बढ़ीं, वहीं अब 2025 से 2030 तक इन दरों में हर वर्ष गिरावट लाने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने भरोसा जताया कि दिसंबर 2026 तक महाराष्ट्र की पूरी कृषि बिजली मांग सौर ऊर्जा से पूरी की जा सकेगी। उन्होंने कहा कि राज्य का लक्ष्य 2030 तक अपनी कुल 52 प्रतिशत बिजली आवश्यकताओं को अपारंपरिक स्रोतों से पूरा करना है। इस दिशा में हाल ही में रूस की एक सरकारी कंपनी के साथ थोरियम आधारित ऊर्जा के लिए समझौता भी हुआ है, जिससे भारत की ऊर्जा नीति में आमूलचूल परिवर्तन की संभावना है। कार्यक्रम में महाऊर्जा की प्रगति रिपोर्ट का विमोचन भी किया गया और मुख्यमंत्री ने प्रदर्शनी का अवलोकन करने के साथ वृक्षारोपण भी किया। महाऊर्जा की नई इमारत को सुपर ECBC और नेट-जीरो एनर्जी कॉन्सेप्ट के आधार पर डिजाइन किया गया है, जिसमें अत्याधुनिक ऊर्जा बचत प्रणाली जैसे पोरोथर्म ब्लॉक, डबल ग्लेज़्ड विंडोज़, रेडियंट कूलिंग, अर्थ टनल ट्यूब, सोलर ट्यूब और 290 किलोवॉट की सौर ऊर्जा प्रणाली शामिल हैं। मुख्यमंत्री के अनुसार, महाराष्ट्र की यह पहल न केवल पर्यावरण की दृष्टि से प्रेरणादायक है, बल्कि देशभर के लिए एक आदर्श मॉडल भी प्रस्तुत करती है।