
धारा 370 हटाने पर अपनी पीठ थपथपाते हुए बीजेपी ने कहा था अब जम्मू कश्मीर में पूर्ण रूपेण शांति कायम होगी।हमारी सेना ने एयरस्ट्राइक कर पीओके में सभी आतंकी बेस नेस्त नामुद कर दिए। मीडिया कसीदे पढ़ने लगी थी। उसी कश्मीर में सीआरपीएफ को छः हवाईजहाज देने के अनुरोध को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दबाए रखा और हवाईजहाज की सुविधा नहीं दी। सरकार की लापरवाही के कारण पुलवामा अटैक हुआ और हमारे 40 जवान शहीद हो गए थे। जम्मू कश्मीर के तत्कालीन राज्यपाल ने घटना की सूचना प्रधानमंत्री को दी तो उनसे चुप रहने को कहा गया। बकौल राज्यपाल बाद में सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से राज्यपाल की बात में डोभाल ने भी उन्हें चुप रहने की हिदायत देते हुए कहा था कि सारे आरोप पाकिस्तान पर जाने हैं। आप चुप रहिए। तात्कालिक राज्यपाल ने सरकार पर आरोप लगाए थे। पीएम मोदी ने रैली में शहीद जवानों के नाम पर वोट भी मांगे थे। शहीदों के नाम वोट मांगने का पहला वाकया। चुरू में रैली में चुनाव प्रचार करते समय मोदी के पीछे पुलवामा शहीदों की फोटो लगी हुई क्यों? निश्चित ही मोदी शहीदों के नाम पर वोट मांगने वाले पहले और अंतिम प्रधानमंत्री होंगे। दो दिन पहले ही कश्मीर के रजौरी सेक्टर में आतंकी घुसे।हमारी सेना के एक मेजर, दो कैप्टन और एक सैनिक शहीद हो गए। कई घायल क्यों कि पाकिस्तान की तरफ से भारी सेलिंग की जा रही है। सीज फायर का फायदा उठाते हुए पाकिस्तान ने पीओके में मोटी ऊंची दीवार पक्के बैंकर बना लिए, ऐसी सूचना मिली थी। अब पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं। चुनाव के समय ही आतंकी हमला और पाकिस्तानी फौज की सेलिंग क्या कहती है? कांग्रेस ने सुबह सुबह जानकारी मिलने पर शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि दी है। अभी तक देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और रक्षा मंत्री ने शहीदों के लिए एक भी शब्द नहीं कहे जबकि राजस्थान में चुनाव प्रचार में उसी समय मोदी रैली को संबोधित कर रहे थे लेकिन एक भी शब्द मुंह से नहीं निकला। हो सकता है अब अगली रैली में मोदी शहीद सैनिकों के नाम पर वोट मांगने की सोचकर चुप हों। सैनिकों की शहादत पर वोट मांगने का काम केवल बीजेपी ही करती है। वास्तव में सैनिकों के प्रति कोई सहानुभूति ही नहीं है। केवल राजनीतिक स्वार्थ के लिए सेना का नाम लेती है जो बेहद चिंता का विषय है। शहीदों को विनम्र श्रंधाजली और परिजनों के प्रति सहानुभूति।