मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के भीतर विभाजन पर चुनाव आयोग (ईसीआई) में चल रही सुनवाई के बीच अजित पवार ने खुद को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बताया और एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल होने के अपने कदम का बचाव किया। उन्होंने कहा कि कई शीर्ष राजनेताओं ने राज्य के राजनीतिक इतिहास में अलग रुख अपनाया है। अजित पवार ने दो जुलाई को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। इस दिन वह आठ अन्य राकांपा विधायकों के साथ शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल हुए थे। वह मंगलवार को वह अपने कार्यकाल के 100 दिन पूरे कर रहे हैं। इस मौके पर उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार समाज के सभी वर्गों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध है और राकांपा इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करेगी। खुद को राकांपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बताने वाले पवार ने एक बयान में कहा कि रोजगार, समाज के सभी वर्गों का आर्थिक सशक्तिकरण, शिक्षा, स्वास्थ्य, सभी कल्याणकारी उपायों को लागू करना सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा,’राकांपा सत्ता के माध्यम का इस्तेमाल कर इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। आलोचना किसी भी राजनेता के जीवन का हिस्सा होती है। मैं हमेशा रचनात्मक आलोचना का संज्ञान लेता हूं। मैं सकारात्मक और विकास की राजनीति में भरोसा करता हूं। किसी भी काम को उसके तार्किक अंत तक ले जाना और लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना ही मेरा विश्वास है।
उन्होंने आगे कहा कि राकांपा छत्रपति शिवाजी महाराज, महात्मा फुले, शाहू महाराज, डॉ बी आर अंबेडकर और यशवंतो चव्हाण के आदर्शों में विश्वास करती है। मेरे नेतृत्व में पार्टी इस विरासत को जारी रखेगी। अजित पवार ने आगे कहा, ‘महाराष्ट्र के राजनीतिक इतिहास में कई शीर्ष नेताओं ने अलग राजनीतिक रुख अपनाया है। हर राजनीतिक नेता मौजूदा राजनीतिक और सामाजिक स्थिति के आधार पर अपना रुख तय करता है। उन्होंने कहा, ‘मेरे नेतृत्व में राकांपा ने दो जुलाई, 2023 को इसी तरह का रुख अपनाया और राज्य सरकार में शामिल हो गई। उन्होंने कहा कि राकांपा किसानों, युवाओं, महिलाओं और समाज के विभिन्न वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए काम करेगी। अजित ने आगे कहा, ‘हम 100 दिनों से इस रास्ते पर चल रहे हैं और आगे भी चलते रहेंगे।