भोपाल: भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय बागेश्वर धाम के पीठाधीश पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के समर्थन में आ गए हैं. उन्होंने धीरेंद्र शास्त्री पर अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति द्वारा लगाए इल्जामों को झूठा बताया है. कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि मैंने उनका इंटरव्यू देखा है. उन्होंने कहा है कि यह मेरा चमत्कार नहीं, यह मेरे ईष्ट का चमत्कार है, मुझे हनुमानजी एवं सन्यासी बाबा पर भरोसा है. सब कुछ उनकी कृपा से ही होता है. मैं तो कुछ भी नहीं, मैं तो उनका छोटा सा साधक हूं. इसलिए उनपर इस प्रकार के आरोप लगाना मिथ्या है. हिन्दू धर्म में उनके जैसे बहुत सारे लोग हैं.
उन्होंने कहा कि जावरा दरगाह में लोग जमीन पर लोटते, पीटते हैं, मगर इस बारे में कोई बात नहीं करता. क्या किसी ने जावरा पर सवाल किया है तथा एक हिंदू महात्मा के सामने इस प्रकार की घटना होती है, तो प्रश्नचिह्न उठाते हैं. लोकप्रिय कथावाचक आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने एक दिन पहले इल्जामों पर सफाई दी- हम अंधविश्वास नहीं फैला रहे. हम इस बात का दावा नहीं करते कि हम कोई परेशानी दूर कर रहे हैं. मैंने कभी नहीं कहा कि मैं भगवान हूं.
धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि अनुच्छेद-25 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार है एवं उसी के तहत वह धर्म का प्रचार करते हैं. उन्होंने कहा कि हमारा डिस्क्लेमर है कि हम कोई संत नहीं हैं. उनका कहना है- मैं नागपुर से नहीं भागा. यह सरासर झूठी बात है. हमने पहले ही बता दिया था कि 7 दिन का ही कार्यक्रम होगा. तत्पश्चात, उन्होंने कहा कि जब मैंने दिव्य दरबार लगाया था तब शिकायत लेकर क्यों नहीं आए? ये छोटी मानसिकता के लोग हैं तथा हिंदू सनातन के विरोधी हैं. धीरेंद्र शास्त्री को देश के अलग-अलग प्रदेशों से कथा के लिए बुलावा आता है। ऐसी ही एक कथा में वह नागपुर गए हुए थे। यह कथा 13 जनवरी तक चलनी थी मगर शास्त्री 11 जनवरी को ही वापस लौट गए। महाराष्ट्र की एक संस्था है- अंध श्रद्धा उन्मूलन समिति। इस संस्था के श्याम मानव ने बोला- धीरेंद्र शास्त्री के नाम पर जादू-टोना करते हैं तथा अंधविश्वास को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने पुलिस से धीरेद्र शास्त्री के विरुद्ध कार्रवाई करने की भी मांग की। महाराष्ट्र में अंधश्रद्धा उन्मूलन कानून है जिसमें अंधविश्वास फैलाने वाले के विरुद्ध कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। संस्था ने इसी कानून के तहत कार्रवाई की मांग की। समिति ने 30 लाख की चुनौती भी दे डाली कि धीरेंद्र शास्त्री अपने दिव्य दरबार में जिन चमत्कारों का दावा करते हैं, उन्हें आकर उसके मंच पर दिखाएं। ऐसा करते हैं तो उन्हें 30 लाख रुपये दिए जाएंगे मगर शास्त्री ने चुनौती स्वीकार नहीं की। बल्कि, जैसा ऊपर बताया गया है वह दो दिन पहले ही कथा ख़त्म करते वापस लौट गए। इस पर धीरेंद्र शास्त्री मंच को लेकर एक वर्ग सोशल मीडिया पर दावा करने लगा कि वो डरकर भाग गए। हालांकि काफी सारे लोग उनके समर्थन में भी लिख रहे हैं।