वो अपने मम्मी-पापा को ढूंढती हुई बालकनी की तरफ गई. बैलेंस गड़बड़ाया और वो पांचवी मंजिल से गिर गई. इस तरह महाराष्ट्र के सांगली जिले के मिरज के जरीबाग अपार्टमेंट में चार साल की मासूम की दर्दनाक मौत हो गई. बच्ची का नाम यशवी निलेश देशमाने है. जिस वक्त यह घटना हुई तब घर पर कोई मौजूद नहीं था. यानी अभिभावकों की लापरवाही की वजह से बच्ची की जान गई है. बच्ची के पिता निलेश देशमाने एक्सरे विशेषज्ञ हैं. निलेश देशमाने की दो बेटियां हैं.
बड़ी बेटी के बीमार होने की वजह से सोमवार (6 फरवरी) की रात उसे डॉक्टर को दिखाने ले जाना था. उस वक्त छोटी बेटी सो रही थी. इस वजह से देशमाने परिवार ने उसे सोती हुई छोड़ दिया और दरवाजे पर ताला लगाकर डॉक्टर के पास चले गए. लेकिन हड़बड़ी में बालकनी की तरफ का दरवाजा लगाना वे भूल गए.
बच्ची को सोता हुआ छोड़ कर मां-बाप गए, बालकनी का दरवाजा भी खुला छोड़ गए
थोड़ी देर बार यशवी की नींद खुल गई. वह अपने मम्मी-पापा को ढूंढती हुई बालकनी की तरफ गई. आधी नींद में होने की वजह से उसका संतुलन गड़बड़ा गया और वह पांचवी मंजिल से गिर गई. वह गंभीर रूप से जख्मी हो गई. उसे तुरंत प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करवाया गया. लेकिन मंगलवार (7 फरवरी) की सुबह उसकी मौत हो गई. इस मामले में महात्मा गांधी चौक पुलिस स्टेशन में दुर्घटना से हुई मौत का केस दर्ज किया गया है.
बड़ी लापरवाही की कीमत बहुत बड़ी, जिंदगी भर हो सकती भरपाई नहीं
इस खबर को सुन कर आसपास के इलाकों में लोग मासूम की मौत पर अफसोस जता रहे हैं. लोगों केे बीच इस बात की चर्चा है कि माता-पिता को कभी घर में बच्चे को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए. कोई यह कह रहा है कि अगर बाइक से चारों लोगों का डॉक्टर के पास जाना संभव नहीं था तो ऑटो रिक्शा मंगवा लेना चाहिए था, लेकिन बच्ची को सोता हुआ छोड़ कर नहीं जाना चाहिए था. कुछ लोग यह कह रहे हैं कि मजबूरी में अगर जाना भी पड़ा तो माता-पिता के जेहन में तो यह खयाल आना ही चाहिए कि अगर बच्ची उठ जाए तो? ऐसे में वे बालकनी का दरवाजा लगाना कैसे भूल कर चले गए? खैर लापरवाही तो बड़ी थी और उसकी जो कीमत चुकानी पड़ी वो इतनी बड़ी है कि उसकी कोई भरपाई नहीं है. यह अफसोस जिंदगी भर मासूम के मां-बाप का कलेजा कचोटेगा.